"श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो !!!'"
"श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो "
कृष्ण की कृपा जिस पर एक बार पर जाए उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता , हमे हर परिस्थिति में उन पर विश्वास रखना चाहिए क्योंकि क्या पता ये उनकी कोई लीला हो ।।
आपने ये तो सुना ही होगा अगर मन में विश्वास गहरा हो और हृदय में अपार प्रेम हो तो भगवान को भी भक्त के पास आना ही पड़ता है .... ये सारी बाते मै इसलिए बोल रही हूं क्योंकि मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ कुछ समय पहले ....।।
मुझे नहीं पता कि कब में कृष्ण के बहत करीब आगई... शुरू-शुरू में तो वो मेरे सिर्फ दुख के ही साथी थे , पर धीरे धीरे मेरी अंतरतत्मा ही बन गए कृष्ण |
बात कुछ समय पहले की ही है, मै सौभग्यवश एक सत्संग में गई थी अपने परिवार के साथ , वहा उस समय भगवान श्री जगन्नाथ जी के विषय में चर्चा चल रही थी | श्री जगन्नाथ के विषय में पहली बार मैंने इतनी गहरी बाते सुनी थी , जिसे सुनकर मै दंग रह गई मुझे वहा पता चला श्री जगन्नाथ में श्री बांकेबिहारीजी का ह्रदय वास करता है ... वहा एक दिव्य आलौकिक शक्ति वास करती है ... ये बात जानकर मै आश्चर्यचकित रह गई और मन ही मन वहा जाने का मैंने निश्चय कर लिया ।
ऐसा करने के दो मुख्य कारण थे , पहला की मै कृष्ण प्रेमी हूं ... और दूसरा मुझे कृष्ण के ह्रदय अर्थात कृष्ण से मिलना था ... नादानी में ही सही मुझे मन ही मन विश्वास था कि श्री जगन्नाथ जी मुझे कृष्ण से मिलवाएंगे क्योंकि वहां उनका हृदय वास करता है |
श्री जगन्नाथ का मंदिर और वहा का अदभुत वातावरण ... समझ नहीं आता है कैसे बयां करू अपने शब्दों में उस स्थान को जिसके रोम - रोम में श्री हरी का वास हो |
श्री जगन्नाथ के मंदिर के अंदर मै अपनी सुधबुध खो कर खड़ी थी , उनकी बड़ी बड़ी सुंदर आंखें मन को मोह रही थी ... वो , उनके भाई और प्यारी बहन तीनों साथ में बहुत ही प्यारे लगते थे... मुझे तो बस वहीं ही रुकने का मन कर रहा था !!! श्री जगन्नाथ जी को देख कर मन में बस एक ही आवाज़ आ रही थी ... मेरा मन उस वक़्त बस एक ही पुकार कर रहा था ...
"हे !! जगन्नाथ भगवान आप मुझे मेरे कान्हा कान्हा से मिलवा दो आपके पास तो उनका हृदय है ... आप तो उन्हीं का प्यारा रूप हो अर्थात कृष्ण हो ... मुझे एक बार बांकेबिहारीजी से मिलवा दो !! एक बार धड़कन सना दो उनकी ।। "
मुझे नहीं पता था ये नादानी से भरी मांग सच होने वाली थी एक रहस्मय रूप में ।।।।।।
हम मंदिर के बाहर निकल ही रहे थे कि भीड़ के कारण मेरा हाथ कहीं छूट गया और मै अपने परिवार से बिछड़ गई | मेरे आसपास इतने लोग थे फिर भी मै अकेली थी ... मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था मैं क्या करू , मैंने कान्हा से मन ही मन कहा --
"हे कान्हा !! ये कौन सी लीला है तुम्हारी , अपने धाम में मुझे बुलाकर सब से दूर कर दिया "
मन ही मन ये कहकर मेरे आंखो में आसूं आगए मुझे अकेले डर लगने लगा था |
तभी मेरे कंधे पर किसी का हाथ आया , मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो वहां 40-50 साल के एक व्यक्ति खड़े थे |
मुझे घबराया देख वो मुझसे पूछने लगे ...
"बिटिया यहां अकेले क्या कर रही हो , अपने डेरे में जाओ जल्दी से .. कुछ ही देर में अंधेरा होने को आया है | "
उनकी बात सुन पता नहीं क्यों मेरी आंखो में आसूं अपने आप आ गए , मैंने उनसे रुंधी हुई आवाज़ में कहा - " काका जी मै भीड़ में कहीं खो गई हूं ।। "
मेरी बाते सुन वो हलकी सी मुस्कुरहट के साथ बोले -
"अरे बिटिया रानी काहे डर रही हो ... अब श्री जगन्नाथ के धाम पर घबराना कैसा , तुम चिंता मत करो मै ऑफिस में तुम्हरे बारे में लिखवा देता हूं .. कल सुबह तक श्री जगन्नाथ जी की कृपा से सब ठीक हो जाएगा |"
मैंने उनकी आंखो में देखा , जिसके अंदर अपनापन था , विश्वास था | पता नहीं क्यों उनके लिए मेरे मुंह से अपने आप काका निकाल गया .....
मैं बस अपने ख्यालों में खोई ही थी कि तभी काका जी बोले - " अरे प्यारी बिटिया रानी अब तो जरा मुस्कुरा दो , अच्छा मै अभी तुम्हरे बारे में लिखवाकर आता हूं , तुम तब तक यही रहना आसपास पर बहुत भीड़ - भाड़ है | "
इतना कहकर वो चलते - चलते भिड़ में कहीं गुम हो गए |
मैंने उनके जाते ही कान्हा को धन्यवाद दिया मेरे लिए मदद भेजने के लिए और फिर मै भी मम्मी पापा को ढूढ़ने के वास्ते इधर - उधर देखने लगी |
जब काफी देर हो गई ना ही मुझे मम्मी पापा मिले और नाहीं वो काका जी नजर आए तो मै दोबारा निराश हो गई क्योंकि मुझे वहां के बारे में कुछ नहीं पता था और उस वक्त मेरे दिमाग ने भी काम करना बन्द कर दिया था |
मैं फिर थोड़ी देर बाद एक कोने में आ गई और कान्हा से पुनः प्राथना करने लगी ... क्योंकि मेरा उस समय वही इकलौता सहारा था |
मै प्राथना कर ही रही थी कि तभी वहां वही काका जी
आ गए , वह मुझसे बोले - " अरे !! बिटिया तुम यहां हो... मैं तुम्हें कहां-कहां ढूंढ रहा था । तुम चिंता मत करो , कल सुबह तक सब ठीक हो जाएगा प्रभु पर विश्वास रखो | सुनो !! तुम एक काम करो आज रात तुम मेरे डेरे में चलो फिर कल उजाले में मम्मी पापा के पास चले जाना | "
उनकी बातें सुन मेरे अंदर कुछ हिम्मत आई और मैं मन ही मन सोच ने लगी कि मैं तो यहां कान्हा को ढूंढने आई थी पर यहां तो मैं ही गुम हो गई |
यही बात सोचते सोचते मैं काका जी के पीछे - पीछे चल दी | वो मुझे अपनी कुटिया में लेकर गए जो की के थोड़ी ही दूर पर था , वहां पर कोई भी नहीं था , एकदम सुनसान स्थान था वो |
उन्होंने मुझे पानी दिया हाथ - पैर धोने के लिए और खुद खाने का इंतजाम करने के लिए चले गए |
मैं हाथ पैर धोने के बाद उनकी कुटिया के आंगन में आग के पास बैठ गई और आग सेखने लगी | थोड़ी ही देर बाद काका जी भी वहां आ गए और उन्होंने मुझे हलवा पूरी खाने को दिया |
और फिर कहने लगे - " अरे बिटिया !! अब कल की चिंता में आज के प्रसाद का स्वाद काहे को रही हों ... रोज - रोज नहीं मिलता है ऐसा प्रसाद | "
इतना कहकर वो हंसते हुए , मेरे साथ खाने लगे |
खाने के बाद उन्होंने मुझसे पूछा कि मैंने भगवान जगन्नाथ से क्या मांगा है |
मैंने उनका ये प्रश्न सुन उनसे कहा -
" यह मेरी और भगवान की बीच की बात है मैं भला आपको क्यों बताऊं । "
ये सुनकर वह हंसकर कहने लगे - " बिटिया तुम हमे कहे पराया समझ रही हो ... हमें भी बता दो अपना समझकर । "
" काका ये उनकी ओर मेरी बीच कि बात है अगर सबको बताऊंगी तो मनोकामना पूरी ही नहीं होगी मेरी ।! " यह कहकर मै मस्कुरा दी |
" अच्छा- अच्छा बिटिया !! मेरी तो प्रभु से यही प्रार्थना है कि तुम्हारी सभी मांगी हुई मनोकामनाएं पूरी हो जाए | अच्छा एक बात तो बताओ अगर तुम्हारी मनोकामनाएं पूरी हो जाईंगी तो तुम क्या करोगी? "
उन्होंने मुझसे पूछा |
" अगर सच में पूरी हो जाए तो ... मुझे और कुछ नहीं चाहिए होगा ...!!!" मैंने शरमाते हुए उत्तर दिया |
मेरी बात सुन वो बोले - "वहा !! लगता है कुछ बहुत ही विशेष मांगा है तुमने ! "
ये कहकर वो मुस्कुरा दिए और फिर कहने लगे - "अच्छा सुनो !! मैं अभी वापस आता हूं तुम इंतजार करना मेरा " और यह कहकर वह उठकर चले गए अपनी कुटिया की दूसरी तरफ |
तभी मुझे कुछ देर बाद उसी तरफ से बांसुरी की आवाज सुनाई दी , बहुत ही मनमोहक ... मधुर ...धुन जिसे सुन मेरे रोंगटे अपने आप खड़े हो गए और मेरा रोम-रोम कृष्ण कृष्ण पुकारने लगा और में दौड़कर उस ओर गई |
वहां पहुंचकर मैंने देखा वहां तो वहीं काका जी है , उनके आसपास एक दिव्य अल्लोकिक तेज था |
मैंने उनकी ओर आश्चर्यचकित दृष्टि से देखा और यह भी महसूस किया कि वो बांसुरी की धुन के उन्हीं के पास से आ रही थी | इससे पहले में कुछ कहती या करती , अचानक उनके अंदर से एक दिव्य रोशनी निकली और चारों ओर उजाला हो गया और वह गायब हो गए !!! |
मैं भागकर उसी स्थान पर गई जहां पर वह खड़े थे , जिस पर जमीन पर को खड़े थे वहां उनके पैरों के निशान बन गए थे |
मैं उनके पैरों के चिन्ह के ऊपर गिर कर कृष्ण कृष्ण नाम लेते हुए रोते-रोते सो गई |
जब मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि मेरे मम्मी पापा मेरे पास थे और मेरे आसपास काफी भीड़ भी थी |
मेरे सर में हल्का दर्द हो रहा था , मम्मी मुझसे पूछ रही थी 'बेटा तुम ठीक तो हो ना ' .... मैंने हलके से हां कहा ... मै उस वक़्त बहुत कंफ्यूज थी , थोड़ा पानी पीकर मम्मी पापा के साथ मैं अपने होटल की तरफ निकल गई |
मैंने मम्मी से पूछा - मां !!! मुझे क्या हुआ था ??"
मम्मी बोली - "रात में तो सब सही था पर जब तू फ्रेश होने बाहर गई तों , उसके थोड़ी देर बाद बाहर से शोर आने लगा हैं जाकर देखा तो तुम बेहोश थी ... शायद चक्कर आ गया हो !!!! इसलिए कहती हूं ध्यान रखा करो अपना !! |"
यह सुनकर मैं हैरान थी आखिर ऐसा कैसे हो सकता था मैंने मम्मी पापा से पूछा - क्या मैं पूरी रात भर सच में आप सब के साथ थी ?? "
दोनों एक साथ बोले - " अरे हां !! तुम हमारे ही साथ थी !!| "
फिर मम्मी मेरे सर पर हाथ रख कर बोली - अब तुम ज्यादा मत सोचो !!! चलो बाहर नाश्ता करने को चलो, तुम्हें कमजोरी हो गई है | "
यह कहकर वह दोनों बाहर की तरफ चले गए , पर मुझे अभी भी समझ नहीं आ रहा था कि वह सब क्या श्री जगन्नाथ जी का कोई चमत्कार था या फिर मेरा कोई भ्रम ||
~ राधिक (कृष्णसखी)
------------------------------------------------------------------------------------------
Read my another story😊 of Krishna ❤Love
अपना किमती समय देने के लिए धन्यवाद 🙏💕
उम्मीद करती हूँ की कहानी ज्यादा बड़ी नहीं हुई होगी 🙏💕||😍🥰💕🙏
Radhe Radhe 🙏🙏
May Radheshyam bless u all....
😍😍😍😍😍😍😍😍bohot sundr😭😭😭😭😭😭
ReplyDelete