Posts

Showing posts with the label radharani

" राधेश्याम की कलियुगी लीला!! "

Image
 राधिका कृष्णसखी: " राधेश्याम की कलियुगी लीला!! " आओ सुनो मन को हर्षित करने वाली एक कलियुगी प्रेम लीला,   आए थे जिसमें राधेश्याम स्वयं धरती पर हरने अपने भक्तों की पीड़ा ; रहता था एक दफा पृथ्वी पर एक परमेश्वर प्रेमी जोड़ा, घोर तप कर दोनों ने प्रभु से ये बोला --                "है हमारे पास सब सुख !      नहीं हैं आपके रहते हुए कोई भी हमें दुख !!       पर फिर भी मन में है एक गहरी आस!        आए है परमेश्वर इसलिए हम तेरे पास!!     न चाहिए हमें धन और न ही मांगे हम पुत्र लाभ!    बस कर दे पूरा हमारा श्री राधेरानी को पुत्री बनाने का ख्वाब!!  जिस प्रभु पर ह यह सारा ये जग है मरता!   चाहिए हमको वही राजकुमारी जिससे गोकुल का ग्वाला सबसे अधिक प्रेम है करता !! देदो नाथ हमको भी मौका विष्णुप्रिया के कन्यादान करने का !   देदो हमको मौका लाडलीजी की लिलाओ पर मर मिटने का!!  आप न करना उनकी कोई भी चिंता रहने की!  नहीं आएगा कोई भी अवसर हमारी शिकायत क...

"तब आएगा तुम्हारा कान्हा !!"

Image
तब आएगा तुम्हारा कान्हा !!       || कविता || ______________________ भुला कर चिंताएं सारी,  जपकर नाम गिरधारी ; अगर काट पाओगे तुम अपनी रातें ,  तो आएगा तुम्हारा कान्हा तुमसे करने बातें |  अपना नहीं , जब करोगे तुम मेरा काम पूरा ;  छोड़ कर सारी भौतिक इच्छाओं को अधूरा,  अगर तुम जी पाओगे मेरे वास्ते ; तब आएगा तूम्हारा कान्हा , तूमसे मिलने तुम्हारे घर के रास्ते | फल की नहीं,  जब करोगे तुम चिंता कर्म की ; बुराई कि नहीं , जब तुम स्थापना करोगे धर्म की,  कर दोगे अगर तुम पूरा यह काम ;  तो यह कान्हा भी हो जाएगा तुम्हारे नाम | जिस दिन तुम अपना प्रेमी , सत्य में मान लोगे मुझको ; दूंगा उस दिन मैं अपना असीम प्यार तुझको | पर क्या जी पाओगे तुम सिर्फ मेरे ही लिए ? ; जला पाओगे क्या तुम अपने हृदय में ,  कान्हा के नाम के दीये ||            - राधिका कृष्णसखी Image is also made by me .😊 HOME PAGE  -  HOME PAGE   of website ☝️☝️☝️☝️☝️ To find out more poems and stories.. _____________________________________...

" राधेश्याम की एक अनसुनी कहानी !! "

Image
" राधेश्याम की एक अनसुनी कहानी !! " आओ सुनाओ एक कहानी , है जिसकी प्रेरणा श्री कृष्ण और मां राधारानी | सुनो मेरे प्यारे सभी सखी सखाओ , है यह बात तब की ; जब जा रहे थे छोड़कर कान्हा अपने वृंदावन गांव | राधा जी को जैसे ही इसका चला पता , चल दी कृष्ण पास सब कुछ छोड़ खोल कर अपनी जटा | सुधबुध गंवा कर आई वह अपने जीवन के पास,   रख दी गोपाल के समुख दूर न जाने की उन्होंने आस | पर क्या करते नंदलाला बेचारे,  नियति के आगे वो भी थे हारे |  देख बहते अपनी प्रिया के आंसू ,  स्वयं जगत के पालन करता भी उस समय हो गए थे बेकाबू | भावुक होकर उन्होंने राधा को गले लगाकर सत्य समझाया , " सुन ले ! रे मोरी राधे प्यारी!! ; ये जगह है मोह माया | तू होती है काहे दुखी ! ,  रोएगी अगर तू तो मैं भी न रह पाऊंगा सुखी |  दूर कहां! मैं तो आ रहा हूंँ तोरे और भी ज्यादा पास ,  तेरे अंतर्मन में बस कर बना दूंगा तेरे अस्तित्व को और भी ज्यादा खास | " फिर उसी समय छोड़ राधकृष्ण ने शरीर अपने ; बना दिया खुद को एक ही प्राण , देव और पूण्य आत्माएं सारी ;  गाने लग गए थे दिव्य प्रेम के गुण-गान | दिव्...