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कृष्ण पगली

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             रात बहुत हो चुकी थी  आसमान में काले बादल छाए हुए थे,  ऐसा लग रहा था मानो किसी भी वक्त बरसात हो सकती हो | आसपास के सारे होटल बुक हो चुके थे जिन्हें देख हमे कोई आश्चर्य नहीं हो रहा था क्योंकि समय ही कुछ ऐसा था ... 1 सप्ताह बाद जन्माष्टमी आने वाली थी  | हिम्मत न हारते हुए , श्री राधे का नाम लेकर हम आगे किसी छोटे से सराहे की तलाश में निकल पड़े | थोड़ी दूर जाकर हमें एक धर्मशाला दिखाई दी वह थी तो पुरानी पर उस वक्त हमारे लिए किसी फाइव स्टार होटल से कम न थी |  अंदर जाकर वहां के मैनेजर से हम बात कर ही रहे थे कि तभी जोरदार बारिश शुरु हो गई  झमाझम.... झमाझम ...! | मैनेजर के द्वारा हमें पता चला कि वहाँ पर कोई कमरा कमरा खाली नहीं बचा हुआ था परन्तु वक्त की नज़ाकत और बारिश की कृपा को देखते हुए उन्होंने हमें छोटे से  स्टोर रूम का कमरा दे दिया रात बिताने के लिए | मेरे साथ मेरी दोस्त ईश भी आई हुई थी , वही माध्यम थी मुझे यहां वृंदावन में जन्माष्टमी पर लाने के लिए ;  अचानक यह सब कैसे तय हुआ कुछ पता  ही नहीं चला | क...

"श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो !!!'"

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 "श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो  " कृष्ण की कृपा जिस पर एक बार पर जाए उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता , हमे हर परिस्थिति में उन पर विश्वास रखना चाहिए क्योंकि क्या पता ये उनकी कोई लीला हो ।।  आपने ये तो सुना ही होगा अगर मन में विश्वास गहरा हो और हृदय में अपार प्रेम हो तो भगवान को भी भक्त के पास आना ही पड़ता है .... ये सारी बाते मै इसलिए बोल रही हूं क्योंकि मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ कुछ समय पहले ....।। मुझे नहीं पता कि कब में कृष्ण के बहत करीब आगई...  शुरू-शुरू में तो वो मेरे सिर्फ दुख के ही साथी थे , पर धीरे धीरे मेरी अंतरतत्मा ही बन गए कृष्ण |  बात कुछ समय पहले की ही है,  मै सौभग्यवश एक सत्संग में गई थी अपने परिवार के साथ , वहा उस समय भगवान श्री जगन्नाथ जी के विषय में चर्चा चल रही थी | श्री जगन्नाथ के विषय में पहली बार मैंने इतनी गहरी बाते सुनी थी , जिसे सुनकर मै दंग रह गई मुझे वहा पता चला श्री जगन्नाथ में श्री बांकेबिहारीजी का ह्रदय वास करता है ... वहा एक दिव्य आलौकिक शक्ति वास करती है ... ये बात जानकर मै आश्चर्यचकित रह गई और मन ही मन वह...
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  " किसने कहा मैं अकेली हुँ ...?? " आज वैलेंटाइन है यानि 14 फेब्रुअरी...  मैं पार्क में बैठीं हुँ..  मेरे चारों ओर लोग़ अपने प्रेमी जोड़े के साथ है ...  पर मै अकेली हु ...  किसने कहा मैं अकेली हुँ..?  मैं तो अभी उसके साथ बैठी हुँ ...  जिसका ये संसार दीवाना है ...  जिसके दर्शन के लिए कई जन्म कम पड़ जाते है ..  वो कोई सेलिब्रिटी से कम थोड़ी है!! ..  सबसे बाड़ा सेलिब्रिटी है मेरा कृष्ण .. 😍😍 सही पहचाना आपने ...  पीले वस्त्र और मुरली वाला कृष्ण ...  हां !! जिसके सर पर मोरपंख है ... उसी की बात कर रही हु मैं ...  मैं अपनी आँखे बंद कर उसे महसूस कर रही हु ...  वही मेरे हर सपने का आरम्भ है और वही अंत...  मै अभी ये सोच रही हु..  की उसके कोमल हाथो में मेरा हाथ ...  मेरा सर उसके कंधे पर . ..  इतना सोच कर ही मैं मुस्करा रही हुँ ...  तो इसके आगे क्या सोचु पता नहीं 🤭 ...  मैं उसकी कोई बहुत बड़ी भक्त नहीं...  मैं तो उसकी पागल दीवानी हुँ...  वो मुझे दिखता नहीं है फिर भी दिखता है ..  वो...

"उसे तो नहीं पर शायद मुझे जरूर मिल गए थे बांके बिहारी !! "

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 "उसे तो नहीं पर शायद मुझे जरूर मिल गए थे बांके बिहारी !! "   यह तो हम सब जानते हैं कि श्रीकृष्ण सबसे बड़े लीलाधर हैं | उनकी लीलाओं को समझना असंभव सा कार्य है और जब मेरे साथ यह घटना घटी तो मुझे समझ ही नहीं आया कि यह लीला है या फिर कोई भ्रम है | अब आप सबका ज्यादा समय बर्बाद किए बिना मैं अपनी कहानी आरंभ करती हूँ ||  मुझे वृंदावन कान्हा से बड़ी मिन्नतों के बाद जाने का मौका मिला था, पर मुझे नहीं पता था कि वहाँ जाकर कुछ गजब सा होने वाला है... वहाँ कुछ ऐसा होने वाला था जो भ्रम था या कुछ और मुझे नहीं पता.... तो कहानी आरंभ होती है जब मैं वृंदावन धाम पहली बार गई थी... वृंदावन की पावन भूमि पर कदम पढ़ते ही राधे राधे की गूँज कानों में पड़ने लगी ,जैसे-जैसे श्री राधे-राधे सुनाई देता वैसे-वैसे ही एक अलग सी उमंग महसूस होने लगती | मेरे साथ मेरे पूरा परिवार राधा कृष्ण के धाम आया था, हम लोग बांके बिहारी मंदिर के बाहर काफी दूरी पर खड़े थे ,बड़े लोग पूजा का सामान लेने चले गए और हम बच्चों को कुछ सामान पकड़ाकर कर मंदिर से कुछ दूर छोड़ गए | बच्चों में मेरे साथ मेरे दो भाई और एक बहन थी | बड़ों ...

" क्या वह सच में चली गई अपने कान्हा के पास... ? !!" (कहानी)

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  " क्या वह सच में चली गई अपने कान्हा के पास... ? !!"© प्रेम के विषय में अब क्या है कहना ! , आप सब ने भी कभी ना कभी तो इसके खट्टे मीठे अनुभवों को जिया ही होगा | हम मनुष्यों के लिए प्रेम सिर्फ दो इंसानों के बीच का रिश्ता है , पर क्या हो अगर प्रेम का पावन रिश्ता एक भक्त और भगवान की बीच में हो? यह कहानी भी एक भक्त की ही है, जो भक्त के साथ दीवानी थी ! .... अपने कान्हा की | उठते-बैठते बस कृष्ण-कृष्ण ! ,अपनी छोटी से छोटी बात वह कान्हा को बताती, उनके लिए खाना बनाना, उनके विषय में बातें करना... इन सभी कामों में उसे  बहुत आनंद आता | कृष्ण को वो अपना सब कुछ मानती ;  पिता,भाई, मित्र,पति ,पुत्र | कभी मां का प्यार देती... तो कभी  बहन बन राखी बांधती | परंतु उसे सबसे प्यारा संबंध दोस्ती का लगता, क्योंकि इन सभी संबंधो का आधार प्रेम था , और प्रेम का आधार मित्रता , दिल से आत्मा की मित्रता | अरे, मै तो आप सभी को उस कृष्ण दिवानी का नाम  बताना ही भूल गई ! राध्या नाम था उसका .... मैं उससे पहली बार अपने स्कूल में मिली , मुझे वह बाकियों से थोड़ी अलग लगी ; इसके दो कारण थे, पहला उस...