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कृष्ण और उसका वृंदावन !!

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  कुछ देर हम ट्रेन पर बैठे रहे .... बाहर देख रहे थे तभी मथुरा जंक्शन आने को ऐसा मोबाइल से मुझे पता चला... उसी समय मैंने जबर्दस्ती कृष्ण के कान में एरफोन डाले और खिड़की पर्दे से ढक कर उसका ध्यान भटकाने लगयी.... बड़ी मुश्किल से अपने कारनामो में सफल होने के बाद .... बृन्दावन स्टेशन भी आगया... मैंने जल्दी से कृष्ण  को उतरवाया ... ट्रेन से उतरते हुए उन्होंने मुझसे कहा "ये तुम क्या हर चीज में जल्दी जल्दी करती हो... पहले बता देती यहाँ उतरना है... इतना धक्का तो नहीं मिलता...वैसे हम है कहाँ........" वो  ये बोल ही रहे थे कि तभी वृंदावन नाम म बोर्ड पढ़ते हुए अचानक से रुक गए.... "कुछ कह रहे थे आप ??" मैंने उन्हें छेड़ते हुए कहा "चलते है...आगे... !!" उन्होंने एक दम धीरे से कहा फिर हम स्टेशन से बाहर निकल कर ऑटो में बैठ गए... कृष्ण पूरे रास्ते शांत था..., वो बस बाहर देख रहा था... लग रहा था जैसे कुछ खोया हुआ ढूंढ रहा हो....जब ऑटो वाले ने हमे हमारी मंजिल पर उतारा... तो कृष्ण ने उतरकर सबसे पहले ... वृंदावन की माटी को बैठ कर छुआ... ऐसा लग रहा था... जैसे किसी पुराने दोस्त से ...

आँख मिचौली (birthday speciallll )

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  बहाना ही होती है हर चीज ...जो हमको जगत के स्वामी से दूर ले जाती है ...असल में ... वो बहाना ही रास्ते का एक भाग है उन तक पहुँचने का !! ... जिस माया से हम बच कर भाग रहे है उनकी शरण मे जाने के लिए ...वो उसी माया के पति है ... वही ही माया है !! ... तो उनसे दूर आखिर कैसे भाग पाओगे ? ... माया से डरो मत ... माया के साथ जो मायापति है न .... उन दोनों को साथ मे देखो !! भागना नहीं पड़ेगा फिर ... फिर बस ...महसूस करना पड़ेगा ...उसको !! जिसके बारे में तुम अभी सोच रहे हो !! ये सब ....मैं नहीं कह रही ये सब मुझसे उसने कहा जिससे मैं मिली थी वृंदावन मे , वो कौन है ... कैसे मिली ये सब शुरू करने से पहले मैं उसकी बोली हुई एक सुंदर बात बताना चाहूँगी ..." प्रेम में केवल प्रेम ही होता है !! जहाँ पर .... लेकिन ... शायद ... आ जाए वो भी एक तरह से प्रेम हो सकता है पर फिर भी प्रेम नहीं है !! " जब उसने मुझसे ये पहली बार कहा था तब तो मुझे इसका मतलब समझ नहीं आया ... पर अब मैं हल्का हल्का महसूस करने लगी हूँ, पहले मैं कृष्ण के बारे में सोचती थी कि श्याद वो मुझसे प्यार करते हूंगे पर अब मैं महसूस करती हूँ उस प...

प्रिय अजनबी 3

प्रिय अजनबी , मुझे पता है तुमको इस खत की उम्मीद नही होगी ... देखो तुम खुद को दोष मत देना किसी चीज का ... तुमने जो भी किया वो बहुत है , बल्कि गलती मेरी है जो गलत जगह चली आई गलत समय पर ... मेरे उन दो खतों के कारण जानती हूँ तुमने मान रखने के लिए मेरा मुझे बुलाया अपने पास ... जानती हूँ मेरी वजह से तुमको काफी सुनना भी पड़ा होगा... मैं अपनी वजह से तुमको पीड़ा में नहीं देख सकती ... इसीलिए मैं हमेशा हमेशा के लिए जा रहीं हुँ ... शायद ये खत मेरा आखिरी हो... या फिर अंतिम समय मे भी प्रयास करूँगी लिखने का अगर हिम्मत हुई तो ...!! खैर मैं तुम्हारा ज्यादा समय नहीं करूँगी बरबाद ... क्योंकि अब मैंने देख लिया है तुम सच मे कितने व्यस्त हो ... मैं बस तुमको धन्यवाद करना चाहती हूँ ... और एक विनती भी की अब इस खत पढ़ने के बाद मुझे ढूँढने मत आना  ... क्योंकि शायद मेरे पास से ज्यादा तुम्हारी जरूरत वहाँ है ... हाँ पर अगर तुम्हे कभी भी कष्ट हो तो बस याद कर लेना ... भले ही सुख में न साथ रह पाऊँ तुम्हारे ... पर तुम पर चुभने वाले हर काँटे का घाव पहले मूझको सहना है ... प्रेम में मिलन के सुख से अधिक सुख प्रेमी के लि...

"श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो !!!'"

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 "श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो  " कृष्ण की कृपा जिस पर एक बार पर जाए उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता , हमे हर परिस्थिति में उन पर विश्वास रखना चाहिए क्योंकि क्या पता ये उनकी कोई लीला हो ।।  आपने ये तो सुना ही होगा अगर मन में विश्वास गहरा हो और हृदय में अपार प्रेम हो तो भगवान को भी भक्त के पास आना ही पड़ता है .... ये सारी बाते मै इसलिए बोल रही हूं क्योंकि मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ कुछ समय पहले ....।। मुझे नहीं पता कि कब में कृष्ण के बहत करीब आगई...  शुरू-शुरू में तो वो मेरे सिर्फ दुख के ही साथी थे , पर धीरे धीरे मेरी अंतरतत्मा ही बन गए कृष्ण |  बात कुछ समय पहले की ही है,  मै सौभग्यवश एक सत्संग में गई थी अपने परिवार के साथ , वहा उस समय भगवान श्री जगन्नाथ जी के विषय में चर्चा चल रही थी | श्री जगन्नाथ के विषय में पहली बार मैंने इतनी गहरी बाते सुनी थी , जिसे सुनकर मै दंग रह गई मुझे वहा पता चला श्री जगन्नाथ में श्री बांकेबिहारीजी का ह्रदय वास करता है ... वहा एक दिव्य आलौकिक शक्ति वास करती है ... ये बात जानकर मै आश्चर्यचकित रह गई और मन ही मन वह...