कृष्ण का फोन

 

कृष्ण का फोन 







गर्मी का मौसम था और वो घर में अकेली बैठी ऊब रही थी,  घरवाले भी किसी जरूरी काम से बाहर गए हुए थे और उसका घर पर अकेले कुछ काम करने का मन ही नही हो रहा था ; तो समय काटने के वास्ते वो फोन लेकर बेड बैठ गयी | यूट्यूब पर वीडियो अभी चल ही रही थी कि तभी अचानक एक कॉल आगया  !! स्क्रीन पर 'अननोन'  लिखा दिखा रहा था और नंबर भी गयाब था ... ऐसा तो कभी भी उसके फ़ोन के साथ नही हुआ था इसलिए उसे फोन उठाने में थोड़ी हिचकिचाहट हुई , अंदर से  डर भी लग रहा था लेकिन हिम्मत कर आखिरकार उसने फोन उठा ही लिया  |

उधर से एक अनजान लड़के की " हेलो जी "  कहते हुए उसे मीठी सी आवाज़ सुनाई दी ||

लड़की - "जी हेलो !! आप कौन ..? "

अनजान लड़का -  "आपने मुझे पहचाना नहीं क्या..?"

लड़की   - " नहीं तो ...आप कौन है ?? क्या नाम है आपका ? "
 
अनजान लड़का - " अरे !!  मैं कृष्ण "

लड़की -    (दिमाग में जोर डालते हुए बोली ) " पर मैं तो किसी कृष्ण को नहीं जानती हूँ ...!!  पहले ये बताओ तुम्हे मेरा नंबर कहां से मिला और बात किससे करनी है आखिर तुम्हे ...!??" 

अनजान लड़का - (आवाज में झूठा गुस्सा दिखाते हुए)  " श्रेया ही बोल रही हो न तुम !! "

लड़की  - (चौकते हुए ) " हा ...!! पर तुम कौन हो ?? और मुझे कैसे जानते हो !!"

अनजान लड़का - " अरे !! बोला तो कृष्ण हूं मैं ..."

श्रेया - " पर मैं तो किसी कृष्ण को नहीं जानती हूं !! "

अनजान लड़का -
" यह सही है ... सारा दिन तो इंतजार करती रहती हो , मुझे पुकारती रहती हो ... आज जब मिलने का समय आया तो कहती हो मैं नहीं जानती तुम्हे !! बड़ी अजीब हो तुम !! " (गुस्से वाली मुस्कुराहट के साथ वो बोला )

श्रेया के मन में संदेह तो पहले से ही हो रहा था की कहीं ये वृंदावन वाला कृष्ण-कन्हिया तो नहीं है !! पर फिर उसने सोचा शायद कोई प्रैंक(मज़ाक) कर रहा होगा उसके साथ क्योंकि आजकल यही ट्रेंड जो चल रहा था !|
कुछ सोचने के बाद श्रेया ने उत्तर दिया -
" मैं किसी कृष्ण को नहीं जानती हूं और ना ही याद करती हूं... समझे तुम !! "

अनजान लड़का - " तो फिर इतने पत्र क्यों लिखती हो मुझे और मेरे लिए क्यों लिखती हो इतनी कविताएँ!!"

श्रेया - " मैं वो सब  तुम्हारे लिए नहीं  ... अपने कान्हा के लिए लिखती हूँ !! " (इस बार श्रेया की आवाज़ में गुस्सा साफ-साफ झलक रहा था !!)

अनजान लड़का - (मुस्कुराते हुए )" अरे !! इतनी देर से तो बोल रहा हूँ ... मैं वही कान्हा वाला कृष्ण ही हुँ !!"

श्रेया - " तो मैं कैसे मान लूँ ...और वो भला मुझे क्यों फोन करने लगे ... वो तो भगवान है !! ...देखो सच-सच बता दो कौन हो तुम !!"

अनजान लड़का -  " अरे मेरी माँ !! मैं कृष्ण ही हूँ सच में... अब तुम इतना बुलाती हो ; तो सोचा आज तुमसे  बात कर ही लूँ !!"

श्रेया - ( हँसते हुए ) " अच्छा जी !! भगवान कब से फोन चलाने लगे है !! "

अनजान लड़का - " जब उनके प्यारे भक्तजन फोन चला सकते है ... फ़ोन के द्वारा ही भक्ति कर सकते है तो भला भगवान क्या फोन का इस्तेमाल भी नही कर सकते है !!? बताओ ..."

श्रेया - " अरे !! क्यों परेशान कर रहे हो... बता भी दो कौन हो तुम !! " 

अनजान  लड़का - " अच्छा ये बताओ जब तुमने फोन पर कृष्ण टाइप (लिखा ) किया था ...  तो अब उसका उत्तर भी तो मुझे फोन के द्वारा ही देना चाहिए...क्यों ?!! मूझे लिखने में आलस आ रहा था तो सोचा टेक्नोलॉजी का मैं भी थोड़ा इस्तमाल करलूँ !! इसलिए कॉल कर लिया...सही किया न मैंने !!"
(इस बार लड़के ने बड़े शरारती लहजे में कहा)

श्रेया - " अपना मजाक बंद करो ... और बताओ कौन हो तुम ... नहीं तो मैं फोन काट रही हूँ !!"

अनजान लड़का -
   "  पहले ये लड़की पुकारती है नाम मेरा  ...
      जब आता हूं मिलने तो कहती है कौन है तू मेरा !!,
     यह सही है तुम्हारा  !!
मेरे लिए पत्र लिख मुझे बुलाती हो ...
हर रोज पूछती हो एक सवाल कहाँ हो तुम गिरधारी !!
आज हूँ जब सामने तो कौन हो तुम पूछ मुझे रुलाती हो !!
सच मे तुम बड़ी अजीब हो ....
ठीक जाओ मुझे नही करनी तुमसे अब बात "सखी"!! "

दिल यह सुन पता नहीं क्यों श्रेया का धक-धक करने लगा था , उसकी आँखों में अपने आप आँसू भर आए थे !! ... अपने कृष्ण को उसकी आत्मा ने आखिरकार पहचान ही लिया था !! या यूं कहुँ इस बार कॉल सीधे दिल को ही लग चुकी थी |
उसने रुंधे हुए स्वर में पूछा -  " कहां से बोल रहे हो कृष्ण तुम "

अनजान लड़का जो कृष्ण है मुस्कुराता हुआ बोला -  "कृष्ण कहाँ रहता है ...? "

श्रेया -  " वृंदावन में !! "

श्रीकृष्ण - " तो फिर क्यों नहीं आती हो मुझसे मिलने वृन्दावन में ...  अगर इतना ही प्रेम करती हो तो  !!"

श्रेया रोते हुए बोली - " क्योंकी आप बुलाते ही नहीं हो !! "

श्रीकृष्ण - " तुम वृन्दावन के बुलावे के इंतज़ार में अपने हृदय के गोलोक धाम में रहने वाले कान्हा की पुकार को अनसुना कर देती हो हर बार !! "

श्रेया - " हृदय का गोलोक "(उसे आश्चर्य हुआ सुनकर)

श्रीकृष्ण - " जिसका हृदय कृष्ण प्रेम से रामा हो ... उसके हॄदय में गोलोक धाम स्वतः ही बस जाता है !!" (मुस्कुराते हुए धीरे से कान्हा बोले)

श्रेया उनका उत्तर सुन कुछ नहीं बोला ...चुपचाप अश्रुओं की धारा को वो बहने दिया !!

श्रीकृष्ण - " देखना नहीं चाहोगी क्या अपने हृदय के गोलोकधाम को !! ...अपने कान्हा से मिलना नही चाहोगी क्या !!  " 

श्रेया रोते हुए बोली - " मैं तो कब से बेकरार हूँ मिलन के लिए  !!!!!"

श्रीकृष्ण -  " अच्छा फिर ...अपनी आंख बंद करो और हृदय में हाथ रख एक बार मुझे दिल से पुकारो ... अपने भक्तिप्रेम की शक्ति लगा पुकारो अपने श्याम को !!"

श्रेया आँखों में अश्रु लिए वैसा ही  करने लगी ...अचानक से उसे लगने लगा... एक तेज रोशनी उसकी आंखों में समाए जा रही थी ...उसे ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई अलग ही दुनिया में जा रही हो !! धीरे - धीरे सब शून्य हो गया और कुछ देर पश्चयात बाँसुरी की मधुर ध्वनि के साथ उसने अपनी आँखे हल्के से खोली .... नयन खोलते ही उसे दर्शन हुए उसके श्याम के !!! जो तलाब किनारे बैठे हुए थे !! |
श्रेया की तरफ देख मुस्कुराते हुए बोले - " आओ सखी.!!  मैं तो अनन्तकाल से ही तुम्हारा यहीं बैठा इंतजार कर रहा था ... तुम मुझे हर जगह तो खोजती रहती हो ,  बस यही खोजना ही भूल जाती हो !! सोचा आज तुम्हारी प्रतीक्षा पर विराम लगा ही दूँ ... इसीलिए चला आया तुमसे मिलने ...क्यों सही किया न मैंने ?!!

श्रेया के तो अश्रुओं की धारा रुक ही नहीं रही थीं , वो बस रोती ही जा रही थी !! ना जाने उसे कब से इंतज़ार था इस पल के लिए ..., वो बिना पलक झपकाए अपने श्याम को एकटक देखते ही जा रही थी |
कृष्ण उठकर श्रेया के पास आए और आपने कोमल हाथ से श्रेया के अश्रु पूछते हुए मुस्कान बिखरकर कहने लगे
" अच्छा ...अब यह तो बता दो कब आओगी वापिस मिलने अपने कृष्ण से !!"

श्रेया के अब भी शब्द नही निकल पा रहे थे ... शायद वो अब कुछ बोलना ही नही चाहती थी !! आँख बन्द कर  कृष्ण के कोमल स्पर्श को वो बस महसूस ही करना चाह रही थी...उसे ऐसा लग रहा था कि ये पल बस आज रुक ही जाए ...सब अभी इतना दिव्य और सुंदर हो ही रह था कि तभी उसे ऐसा लगने लगा जैसे उसकी आत्मा को कोई खिंच रहा हो !!  |
वो घबराने लगी..डर के मारे तेजी से श्रेया ने आँखे खोल ली ... खोलते ही उसने देखा कि वो तो  अपने बिस्तर पर ही बैठी हुई थी ,  उसकी आँखे अश्रुओं से भीगी हुई थी ;  उसे समझ में नहीं आ रहा था जो उसके साथ हुआ वो सपना था या हकीकत !! |
श्रेया ने जल्दी से अपना कॉल हिस्ट्री को टटोलला सच पता करने के लिए पर उसे वहाँ उस अननोन नंबर का कोई नामोनिशानं नहीं दिखा !!!  उसकी कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था  , पर वो संतुष्ट थी अंदर ही अंदर उस अहसास को महसूस कर... उसका दिल अब भी  तेजी से धक-धक  कर ही रहा था कि तभी अचानक से  उसके फोन में  मैसेज सूचना की आवाज आई , जब उसने मैसेज खोल कर देखा तो पाया तारा कि उसकी एक दोस्त है  उसने उसे वृंदावन जाने के लिए बुलावा भेजा हुआ था  !!
मैसेज देख कर श्रेया मंद-मंद मुस्कुराने लगी ,  वह मन ही मन में सोच रही थी कि हृदय के गोलोक के बाद अब वृन्दावन के कृष्ण से मिलने का समय आगया ...!! जल्द आउंगी कन्हा मिलने तुमसे कहकर श्रेया ने अपनी आँखे बंद करी और फिर से उन्ही दिव्य पलों को याद कर वो मुस्कुराने लगी ||



~ राधिका कृष्णसखी

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