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एक मुलाकात श्याम संग ...

  एक मुलाकात श्याम संग ... शायद अब मुझे जाना ही चाहिए उनसे मिलने ... ये बात मेरे दिमाक में पिछले कई समय से चल रही थी , मेरे दोस्त लोग हमेशा बात करते कि वृंदावन ऐसा है वहाँ ये है ...अब मुझसे रहा नही जा रहा था तो मैंने सोच लिया इस बार 2 दिन के लिए ही सही वृंदावन तो जाना ही है मुझको | मैं शहर में अपने घरवालों के साथ रहती हूँ ... उनसे मैंने कॉलेज ट्रिप का बहाना बना दिया और अकेले निकल गयी मैं वृंदावन की ओर , मेरा प्लान अचानक बना था इस कारण ट्रेन का जनरल टिकिट मिल पाया ... भीड़ को देख कर मेरा सर चकराया जा रहा था , बड़ी मुश्किल से मैं डिब्बे में चढ़ी जैसे तैसे एक कोने में सीट मिली !! कृष्ण नाम लेते लेते मैं सफर में आगे बढ़ने लगी | कभी राधारानी को धन्यवाद देती तो कभी कृष्ण को याद करती है , ट्रेन रुक रुक कर बढ़ रही थी इस कारण 4 घण्टा देरी से चल रही थी ... ये समय मेरा कट ही नही पा रहा था ... मन बेचैन हो रहा था ... न फोन चलाने का मन था और न ही उस समय किसी से बात करने का मन था | शाम में करीब 5 बजे मैं वृंदावन स्टेशन पर पहुँची धक्के के साथ नीचे उतरी ...आगे बढ़ते ही सब प्रेम मंदिर के रिक्से वाले भैय...

जन्माष्ठमी स्पेशल ... कृष्ण

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  जन्माष्टमी भी नजदीक आ चुकी थी और मैने अभी तक कोई तैयारी नहीं कि थी ... करने का मन ही नहीं हो रहा था ... मन मे आता भी नए-नए पकवान बनाऊ  पर फिर मैं रुक जाती , क्यों करू आखिर उनके लिए ये सब !? कौन है वो मेरे ... वो तो केवल ईश्वर है ना , उनसे मेरा और कैसा संबंध ? | मन्दिर में लगे पर्दे के पीछे से वो अक्सर मुझे निहारते थे ... जब भी हवा का झोंका आता मैं मुस्कुरा देती .. तुम मुझे ऐसे क्यों देखते हो ?? ये प्रश्न कर मैं शर्मा देती ! पर आज न मुझे शर्म आ रही थी न ही चेहरे पर मुस्कुराहट ... मैं बस उन्हें पर्दे के पीछे बैठ ताक रही थी , पर्दे को उठाने का न ही मेरा मन था और न ही मेरे अंदर सामर्थ था !! हवा चलते ही मुझे पुनः उनकी एक झलक दिखी ... इस बार मुस्कुराहट की जगह आसुंओ ने लेली .. न ही वो कुछ बोले और न ही मैंने कुछ सुना !! फिर भी इंतज़ार करते करते आँख लग गयी ... धरती की भोर तो हो चुकी थी पर मेरे मन मे अब भी रात थी अमावस्या की ...!! दिन तो मेरा रोज की तरह काम मे बीत चुका था पर रात में फिर से मैं वही आकर खड़ी हो गयी ... पर्दे के पीछे उन्हें फिर बन कुछ कहे देख रही थी ... कहने को भ...

कृष्ण पगली

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             रात बहुत हो चुकी थी  आसमान में काले बादल छाए हुए थे,  ऐसा लग रहा था मानो किसी भी वक्त बरसात हो सकती हो | आसपास के सारे होटल बुक हो चुके थे जिन्हें देख हमे कोई आश्चर्य नहीं हो रहा था क्योंकि समय ही कुछ ऐसा था ... 1 सप्ताह बाद जन्माष्टमी आने वाली थी  | हिम्मत न हारते हुए , श्री राधे का नाम लेकर हम आगे किसी छोटे से सराहे की तलाश में निकल पड़े | थोड़ी दूर जाकर हमें एक धर्मशाला दिखाई दी वह थी तो पुरानी पर उस वक्त हमारे लिए किसी फाइव स्टार होटल से कम न थी |  अंदर जाकर वहां के मैनेजर से हम बात कर ही रहे थे कि तभी जोरदार बारिश शुरु हो गई  झमाझम.... झमाझम ...! | मैनेजर के द्वारा हमें पता चला कि वहाँ पर कोई कमरा कमरा खाली नहीं बचा हुआ था परन्तु वक्त की नज़ाकत और बारिश की कृपा को देखते हुए उन्होंने हमें छोटे से  स्टोर रूम का कमरा दे दिया रात बिताने के लिए | मेरे साथ मेरी दोस्त ईश भी आई हुई थी , वही माध्यम थी मुझे यहां वृंदावन में जन्माष्टमी पर लाने के लिए ;  अचानक यह सब कैसे तय हुआ कुछ पता  ही नहीं चला | क...

माई

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          माई         (जरूरी सूचना -   यह एक काल्पनिक कृति है। नाम, पात्र, व्यवसाय, घटनाएँ और घटनाएँ लेखक की कल्पना की उपज हैं। वास्तविक व्यक्तियों, जीवित या मृत, या वास्तविक घटनाओं से कोई भी समानता विशुद्ध रूप से संयोग है। )                      मैं यमुना मैया के किनारे अभी टहल ही रहे थे कि तभी एक गेंद मेरे पैर के पास आकर टकरा गई , मैंने उसे झटके से अपने से दूर कर दिया क्योंकि उस वक्त मेरा मन अकेला रहने का कर रहा था , वो गेंद दूर जाकर एक गड्ढे में जा गिरी | मेरा मन उसे गड्ढे में गिरा कर पता नहीं क्यों उदास हो गया , शायद मैं उसे खुद से उस वक्त जोड़ कर देख रही थी , मैं तेजी से चल कर उसके पास गई और उसे निकाल के बाहर की तरफ फेंक दिया | मैं जैसे ही उठने लगी ; मुझे उस गड्ढे में कागज़ के टुकड़ा गड़ा हुआ दिखा , पता नहीं क्यों पर मेरे मन मे उसे देख कर उत्साह अपने आप जाग गया , मैं जल्दी जल्दी  वहाँ की मिट्टी  हटाने लगी | यमुना किन...

कलियुग की राधा रानी

      💕 ||कलियुग की राधा रानी ||💕                    (सार) जल्द ही शुरू करने जा रही हूं मैं एक रोचक प्रेम कहानी, जिसकी प्रेरणा स्रोत है हमारी राधा रानी | कलयुग में आरंभ होती है मेरी यह काल्पनिक कथा, जिसमें जानेंगे हम की प्रेम करना नहीं है कोई कुप्रथा | कहानी का आरंभ होता है मेरी नायिका राधा से , देखेंगे हम उनको कैसे लड़ती है वो अपने प्रेम की बाधा से | अगर राधा है इस कथा का दिल, तो कृष्ण है धड़कन , सीखेंगे हम उनसे की सच्चे प्रेम का अर्थ होता है समर्पण | अब जल्दी ही आरंभ होगी एक अद्भुत प्रेम कहानी, जिसमें है कलयुग की राधा पर अभी भी है वो द्वापरयुग के भांति श्याम दीवानी || 💕💕💞💞💞💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝💝 राधे राधे सखा एवं सखियों 🙏🙏🙏 मैंनेराधा रानी और कान्हा की कृपा , और आप सब लोगों की प्रेम से प्रेरित होकर एक कहानी लिखी है जिसमें मैं कविता के रूप में आप सबके समक्षएक कहानी प्रस्तुत करुगीं  जिसमें जानेंगे हम की राधारानी...

श्यामा

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      ||   श्यामा   || आज भी मैनें और दिनों के भांति अधूरा ही श्रृंगार किया हुआ था , इस आस में शायद वो इसे पूरा करने के बहाने से ही मिलने तो आएंगे ही ! | हाँ !! दिन तो काफी हो चुके थे ... पर फिर भी मन मे आस थी ही उनके आने की , मैंने रोज की तरह ही उनके लिए भोजन बनाया और बैठ गयी हमारे छोटे से घर को सजाने के लिए , अभी सजावट चल ही रही थी कि तभी मेरी नजर उनके कंगन पर पड़ी जो एक कोने में अकेला पड़ा मुझे ताक रहा था ... मैं समझ चुकी थी फिर से ये उनकी ही करामात होगी , हल्की सी मुस्कान के साथ मैं उनकी ओर मुड़ी | " अब क्या नई लीला करनी है तुम्हें !! " मैंने बनावटी गुस्से सा मुँह बनाते हुए उनसे पूछा ... हाँ औरो के लिए होंगे वो मूर्ती पर मेरे लिए तो संसार ही थे , मन कई बार सवाल भी करता उनके अस्तिव पर लेकिन आत्मा अपने विश्वास से हर बार उसे हरा ही देती !! खैर मुझे औरो से क्या मतलब था ! बात तो यहाँ उनकी और मेरी हो रही थी ... " अच्छा !! तो फिर तुम्हे नहीं देना है उत्तर , ठीक है कुछ मत कहो ... याद रखना पर तुम मैं तुमसे अब भी नाराज़ हुँ " मुँह फिरते हुए मैं बोली | ...