कलियुग की राधा रानी
💕||कलियुग की राधा रानी ||💕
(सार)
जल्द ही शुरू करने जा रही हूं मैं एक रोचक प्रेम कहानी,
जिसकी प्रेरणा स्रोत है हमारी राधा रानी |
कलयुग में आरंभ होती है मेरी यह काल्पनिक कथा,
जिसमें जानेंगे हम की प्रेम करना नहीं है कोई कुप्रथा |
कहानी का आरंभ होता है मेरी नायिका राधा से ,
देखेंगे हम उनको कैसे लड़ती है वो अपने प्रेम की बाधा से |
अगर राधा है इस कथा का दिल,
तो कृष्ण है धड़कन ,
सीखेंगे हम उनसे की सच्चे प्रेम का अर्थ होता है समर्पण |
अब जल्दी ही आरंभ होगी एक अद्भुत प्रेम कहानी,
जिसमें है कलयुग की राधा पर अभी भी है वो द्वापरयुग के भांति श्याम दीवानी ||
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राधे राधे सखा एवं सखियों 🙏🙏🙏
मैंनेराधा रानी और कान्हा की कृपा ,
और आप सब लोगों की प्रेम से प्रेरित होकर एक कहानी लिखी है जिसमें मैं कविता के रूप में आप सबके समक्षएक कहानी प्रस्तुत करुगीं जिसमें जानेंगे हम की राधारानी अगर कलयुग में जन्म लेगी तो कैसे उनके प्रेम के विचार होंगे || उनकी एक प्यारी प्रेम कहानी हमें देखने को मिलेगी कान्हा संग कविता के रूप में ||
🙏🙏राधे राधे 🙏🙏
कलयुग की राधारानी पार्ट 1
आइए सुनते हैं हम ;
एक रोचक कहानी,
जिसमें जानेंगे हम ;
की क्या होगा अगर कलियुग में जन्म लेगी हमारी राधा रानी |
राधा जी जो थी द्वापरयुग में अपने कान्हा की जान ,
जानते हैं आइए कैसे बनेंगी वह कलियुग में अपने प्रेम का मान |
अष्टमी की रात को जन्म हुआ उस दुलारी का,
कान्हा तब तक इंतजार कर रहे थे अपनी प्यारी का |
महलों की नहीं थी अब वह राजकुमारी,
पर जन्म लेकर कर दिया उसने ब्राह्मण को अपना आभारी |
मां की थी वह आंखों का तारा ,
पूरा परिवार कहता था कि राधा है सौभाग्य हमारा |
गांव की नदियों में अब नहीं थी वह बहती,
कलियुग की राधा अब शहरों में थी रहती |
दोनों युग की राधा में एक संबंध था,
की नियति के द्वारा पहले से ही प्रेम से मिलने का प्रबंध था |
शहरों कि चारदीवारी में वह पंद्रह वर्ष तक थी अकेली,
अपने प्रेम से मिलने के लिए बेताब हो रही थी जैसे हो कोई अलबेली |
स्मरण ना होते हुए भी उसे कुछ ,
लगता था फिर भी जैसे कोई कर रहा हो इंतजार उसका सचमुच |
अक्सर देखती थी वह सब अपने राजकुमार के,
जल्द आने वाला था वह पल जब दर्शन होने वाले थे उसे अपने प्यार के ||
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|| अध्याय 2|| ||सखियों संग संवाद ||
राधा से सखियां अक्सर पूछती ;
कि काहे अभी तक हो तुम प्रेम से अछूती ,
एक तो सुंदर हो तुम कितनी ;
और तो और बोली भी तुम्हारी अच्छी है इतनी ,
फिर आखिर क्यों तुम्हें कोई लड़का न भाहे ;
अगर कोई कह भी दे तुमसे दिल की बात अपनी ;
तो तुम क्यों कह देती हो उससे की अलग है हमारी राहे |
यदि पसंद है तुम्हें कोई तो हमें भी बताओ ,
ये चुप्पी तोड़ो भी अब हमें इतना ना तड़पाओ |
फिर राधा जी मुस्कुरा कर बोली,
की मुझे प्यार उसी से करना है प्यार जिसके साथ जाएगी मेरी डोली |
ये बाबू-सोना नहीं करना हैं मुझे कुछ ही पल का,
नहीं बनाना है मुझे किसी दूसरे को अपना प्यार जो जल्दी हो जाए कल का |
सुनकर ये सखियां हंसते हुए करने लगी राधा की खिंचाई ,
कहने लगी की कौन होगा वो राजकुमार जिसके लिए राधा ने अपनी पलकें है बिछाई |
कहीं न हो जाए तुम्हारा ज्यादा लंबा ये इंतजार ,
बुड़ी हो जाओगी तुम ऐसे तो जल्दी से ढ़ूंढ़ लो अपना प्यारा |
सुनकर ये सारी बातें! राधे मायूसी से कहने लगी ,
की मुझे प्यार करना है नहीं करनी है कोई ठगी |
ढ़ूंढ़ कर जो प्यार मिले वो नहीं होता है सच्चा,
इससे अच्छा तो मेरा अकेला रहना ही है अच्छा |
जाने लगी राधा यह बोलकर ,
सखियां रोकने लगी उन्हें कहकर ये कि ;
वे तो बस रख रही है बस अपने दिल की बातें उनके समक्ष खोलकर ,
रूठो ना राधा तुम ऐसे हमसे |
फिर हल्की सी मुस्कुराहट से राधा बोली,
की कहाँ जाऊंगी मैं रूठ कर तुम सबसे ,
लेकर सखियों से विदाई जाने लगी किशोर जी लेकर प्रेम की हृदय में पहेली |
सखियों की बातें राधा के दिल पर थी लग गई,
मानो उस समय वह प्यारी निंदिया से हो जाग गई |
उस क्षण से वो बस अपने प्रेम के बारे में ही सोचे,
अपनी प्रीत को वो अब हर स्वप्न में खोजें ||
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अध्याय -3
ह्रदय तड़प रहा था राधे का जितना,
दूसरी ओर उनके प्रेम का भी यही हाल था उतना |
जितनी बेताब थी हमारी कलयुग की राधा रानी,
थे उतने ही उत्सुक हमारे कलयुग के प्रेम पुजारी |
कृष्ण नाम था कलयुग का उनका ,
राधा थी वो प्रितमा इंतजार कर रहे थे वह जिनका |
छवि थी उनकी अत्यंत निराली,
बहुत थी मधुर उनकी वाणी,
लगता था ऐसा जैसे पी हो उन्होंने शहद की प्याली |
आकर्षण था उनमें एक अद्भुत ,
लड़कियां तो देख खो देती अपनी सुध बुध |
जाने कितनी बालिकाओं ने करा उनसे अपने प्रेम का इजहार ,
पर वह तो अपनी सपनों की रानी से ही करते थे सिर्फ प्यार |
उनके लिए प्रेम का अर्थ दो पल का रिश्ता न था,
उनके लिए तो प्रेम था अमर गाथा |
ब्राह्मण नहीं वो थे ,
क्षत्रिय के थे वह सूत,
आए थे कलयुग में प्रेम अर्थ समझाने बनकर दूत |
15 वर्ष तक थे अपने प्रेम से वह दूर,
न भाता उन्हें अपने आसपास का कोई भी नूर ,
होने वाली थी जल्दी राधेकृष्ण की मुलाकात,
आने वाला था वह पल जब होने वाली थी उन दोनों प्रेमियों की पहली बात ||
❤️❤️❤️❤️❤️❤️
अध्याय -4
संपन्न परिवार की थी राधा राजकुमारी ,
शहर के सबसे महंगे स्कूल में जाती थी हमारी दुलारी |
ज्यादातर थे वहाँ अमीरों के बिगड़े बच्चे,
जो सोच के थे थोड़े कच्चे |
ज्यादातर बच्चे करते सिर्फ पैसों की ही बातें,
राधा को रास नहीं आ रही थी शहर की दिन और रातें |
उसकी सोच अलग थी सब से ,
पैसों के लिए नहीं खुशियों की दुआ करती थी वह रब से,
सुन ली थी रब ने उसकी फरियाद ,
होने वाला था मिलन दो प्रेमियों का कुछ पलो बाद |
सुबह थी उस दिन की बड़ी निराली ,
लग रही थी हमारी राधा रानी बड़ी ही प्यारी |
खुश थी वो बड़ी,
क्योंकि नजदीक आ रही थी प्रेम की घड़ी |
11वीं कक्षा का लाडली जी का दिन था पहला ,
नए बच्चों को देख आसपास ;
दिल को रही थी वो बहला |
अचानक आई एक लड़की उनके पास,
कहने लगी की बुला रही है आपकी सहेली आपको अपने पास |
उठकर के पहुंची जैसे ही राधा कक्षा के द्वार पर,
वैसे ही वह टकरा गई हमारे कान्हा से आगे बढ़कर ;
देख रहे थे दोनों एक-दूसरे की आंखों में ,
हो गया था प्रेम दोनों को नयनों की बातों में |
शर्मा कर राधा ने आंखे मोड़ी,
किनारे हटके जाने लगी वहाँ से मुस्कुराकर गोरी |
पर यह क्या था ! कृष्णा भी उसी किनारे से जाने लगे आगे ,
और फिर से जुड़ गए दोनों की नैनो के धागे |
रास्ता देकर राधा को , कृष्ण हो गए किनारे ;
लग रहे थे दोनों को वह क्षण बहुत ही प्यारे |
आगे बढ़कर दोनों अपने मन ही मन मुस्कुराए ,
पीछे मुड़े अचानक एक साथ दोनों ;
नयन उनके फिर से टकराए |
मनमोहक मुस्कान लिए दोनों चल तो दिए थे रास्ते अपने ,
पर बन गए थे दोनों उसी पल से एक दूसरे के सपने ||
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उम्मीद करती हूँ की आपको यह पंसद आएगा ||
🙏🙏राधे राधे🙏🙏
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Radhe Radhe 🙏🙏
May krishna bless you 💝
Hare Ram Hare Ram Hare Krishna Hare Krishna 🙏🙏