7-8-25
कृष्ण तुमसे अगर मैं कहु की तुम मुझे मनुष्य रूप में मिलो ? तो क्या ये सही रहेगा ? क्योंकि मैं तुमको वो बनने को कह रही हो जो तुम हो ही नही.... मनुष्य कौन है ? जिसने अपनी सत्य की चेतना को इस शरीर रूपी कैद में बंद किया है...तो अगर मैं तुमको मनुष्य बनकर आने को कहूंगी तो ये तो वही हुआ तुम्हारी अनंत चेतना को कैद करना चाह रही हूँ... यानी मेरी वजह से तुमको तकलीफ होगी.... और अगर मुझे तुमसे मिलना होगा.... तो पहले मुझे अपनी सत्य चेतना को मुक्त करना होगा...
तो ये कष्ट कही न कही अच्छा है मेरे लिए....क्योंकि इसके जरिए मैं अनन्त से जुड़ जाऊंगी अनन्त के पास जाकर... !!खैर आज 7 अगस्त है यानी तुम्हारा जन्मदिन...आज ही के दिन तुम मेरे घर पर आए थे... याद है... कैसे पूरी रात भर तुम मेरे साथ थे... लग रहा था कोई पुराना जान पेहचान वाला आया.... फिर मैंने पहली बार अकेले अपना जन्मदिन तुम्हारे साथ मनाया था... तुमको पता है अभी तक का खास जन्मदिन है वो मेरा... उस दिन तुम पहली बार साथ थे... और अभी 2024 में ... कैसे मैंने तुम्हारा अपना जन्मदिन मनाया.... बस हम दोनों... और हमारी बातें.... और इस साल 12 बजे मैं जन्मदिन भूल गयी क्योंकि मैं कुछ फालतू काम मे लग गयी थी... तुमसे कही लगाव कम तो नही होगया ?? मैं ये खुद से पूछ रही हु... शायद हा... अब वो लगाव नही है.... शायद अब तुम और मैं पहले जैसे नही है... शायद मैं तुमको अब भूलती जा रही हु.... एक दिन पूरा ही भूल जाऊँगी.... पर तुम्हारे स्पर्श को हमेशा याद रखूँगी.... हर जन्म याद रखूँगी... अगर कभी तुम टकराए ....तो बस माफी माँगूँगी.... की मेरी वजह से तुमने अपना कीमती समय बर्बाद किया.... जानती हूँ तुम्हारे पास भूलने की ताकत नही है... पर तुम्हारे पास मुझसे ज्यादा खास लोग है ...उम्मीद करती हूं तुमको वो बहुत प्रेम दिंगे... पता नही अब कब तुमसे मिलना होगा.... पर मेरे जीवन के बहुत खूबसूरत यादें देने के लिए तुम्हारा धन्यवाद.... चिंता मत करो तुम्हारे पास मेरा कोई उधार नहीं .... जो तुमको कर्ज अदा करना होगा.... तुम स्वत्रं हो... और हाँ.... तुमको मैं अपने जन्मदिन में आने को नही कहूँगी... हो सके तो मुझे और मेरे जन्मदिन को तुम भी भूल जाना... और जब कभी टकराव...तो बस मुस्कुरा देना... की फिर से टकरा गई भुलक्कड़ करके... और हाँ अपना ध्यान रखना... तुम्हारा हर रूप और स्वरूप अपने आप मे खास है... और तुम भी!!
तुम्हारी....
कृष्ण...क्या मैं तुम्हारा शृंगार कर सकती हूँ?
मैंने कृष्ण के समीप आकर धीरे से पूछा...वो कुछ नहीं बोले बस मेरी आवाज सुन कर अपनी आँखें मेरी ओर करके... एकतक बिना कुछ कहे देखने लगे... अचानक से मुझे मेरी गलती याद आई..."माफ करना... मैंने सीधे से आपका नाम ले लिया प्रभु...!! मैं भुल गयी थी कि...!!" मेरी बातें सुनते ही अचानक से उन्होंने अपना मुंह मोड़ लिया बिना कुछ बोले... उनका ऐसा व्यवहार देख कर मेरा हृदय कांप गया... कही मुझसे कोई पाप तो नहीं हुआ न... मैंने पुनः उनसे बोला परन्तु इस बार थोड़ा जोर से..." क्या हुआ प्रभु...? कुछ भूल हुई है क्या ??"
उन्होंने बिना गर्दन हिलाए... तिरछी नजरो से मुझे देखा... मस्तक पर वो गुस्से वाली लकीरे हल्की सी दिख रही थी... पर मुझे समझ नही आ रहा था आखिर ये उनका गुस्सा किस लिए है..." अरे बोलो न... आप ऐसे क्यों देख रहे हो!!?"मैंने भोले से स्वर में कहा... "मैं ये देख रहा हूँ... की सारे मनुष्य कितने रंग बदलू होते है...!!" आँखे फेरते हुए वो बोले|
"ऐसा क्यों कह रहे हो आप...!!?"
"ऐसा क्यों न कहु भला... सब अपने मन के मुताबिक मुझे कुछ भी बना देते है... जब काम निकालना हो तो.... सारे रिश्ते जोड़ लेते है... पता नही कौनसा नया रिश्ता बना देते है...और फिर जैसे ही कुछ दुख आता है या मन की नही होती.... तो फिर से मुझे भगवान बनाकर गाली देते है...आप तो भगवान है...क्यों करते हो ऐसा मेरे ही साथ....!!"
"मैंने कब दी आपको गाली भला...?" मैंने चिंतित होकर पूछा
"ये तो अब तुम खुद ही सोचो...!!" ये बोल उन्होंने दूसरी ओर मुंह फेर लिया....
सुनो... जन्मदिन की शुभकामनाएं....
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Radhe Radhe 🙏🙏
May krishna bless you 💝
Hare Ram Hare Ram Hare Krishna Hare Krishna 🙏🙏