कौन हो तुम जग्गनाथ?

 हे जगन्नाथ कौन है आप ??

आखिर कैसा जादू कर दिया मुझ पर.... बस मन कर रहा है आपको ही देखती रहूं.... पहले मुझे भीड़ पसंद नही थी.... मुझे नही पसंद था कि जब मैं आपसे मिलने आऊँ... तो भीड़ का हिस्सा बनू.... पर आज....आज तो मुझे भीड़ भी नही दिख रही.... अगर कुछ दिख रहा है तो.... बस आपकी दो बाहें... दो नयन.... दो कुंडल....और एक हृदय.... जो मुझे पुकार रहा है....मानो कह रहा है कि.... इस अधूरे हृदय को पूर्ण करदो....मेरे थोड़ा और समीप आ जाओ....!!

जानती हूं प्रेम के बारे में किताबो में यही लिखा है कि प्रेम में दो नही एक होना होता है... पर हे प्राणनाथ.... मेरा ये हृदय तो पहले से आपका ही है.... तो कैसे करूंगी आपके अधूरे हृदय की पुकार को पूरा.... किताबो के हिसाब से मुझे आपमे मिलकर पूर्ण होना है...पर मेरे पूर्ण होते ही.... आपको कैसे निहारूँगी.... कैसे पहले ही भांति आधी रातों तक जगकर इंतज़ार करूँगी.... कैसे तुमको ताने दूँगी....और कैसे तुमसे अपने प्रेम का इजहार करूँगी ???

मुझे किताबो वाला प्रेम नहीं.... केवल तुम्हारा प्रेम चाहिए....जैसे मेरा हॄदय पहले से ही तुम्हारा है....मैं बस चाहती हु ये स्वास भी तुम्हारी हो जाए.... और पहली से लेकर अंतिम स्वास केवल तुम्हे निहारते हुए निकाले....


तुम मुझे जन्म मृत्यु से मुक्ति नही देना... अगर देना चाहते हो.... तो बस मिलने का वादा दो... जैसे पिछले जन्म भी मैंने मांगा था.... उन धुंधली यादों में भले ही तुमको नही देख सकती ....पर महसूस कर सकती हूं.... की तुम जल्द ही वादा पूरा करने आओगे.... और हर जन्म आते ही रहोगे...., और तब तक आओगे.... जब तक मेरा तुमको तुमसे अलग होकर  तुमको निहारने का मन नहीं भरता....जब तक मेरे हृदय से तुमसे गले लगने की चाहत नही जाती... जब तक मेरी ये मुस्कान 
तुमको देख रुठ नहीं जाती.... और फिर तब मेरा मन ये प्रश्न करना बंद करदेगा.... की कौन हो तुम जगन्नाथ ....!!! |



11|6|25

Comments

Popular posts from this blog

कृष्ण पगली

ताशी - 4 (अंतिम भाग )

कृष्ण रोग

कृष्ण कुछ कहना था... बुरा तो नहीं मानोगे ?

क्या लगता है? आएगा कृष्ण....!!

कृष्ण का फोन

ताशी

रमणा सखी

ताशी - 3

कृष्ण की सखी