सोच ले अच्छे से !!!





 हल्के हल्के मैं तुम्हारे तरफ बढ़ रही हु....जानती हूँ ये तुम नहीं तुम्हारी मूर्ति है...वो मूर्ति जिसकी सब पूजा करते है.... जिससे सब प्रेम करते है.... पर मैंने तो प्रेम तुमसे किया है न कि तुम्हारी तस्वीर से....ये तो वही बात हुई.... प्रेमिका को विवाह से पहले बस तस्वीर दिख दी अपने प्रेमी की जो कि उसका दूल्हा है.... और कहने लगें.... अब इसी से विवाह करो... यही है तुम्हारा सब कुछ....


धत्त!!!!!.... हमको बेवकूफ न बनाओ....माना मैं थोड़ी बुधू सी हु.... पर अंतर पता है हमको असली नकली में....अरे रे....जानती हूँ ....अब कहेगा तू .... अरे ओ पगली हम भगवान है मूर्ति में भी वास है हमारा....


तो सुन मूर्ति में रहने वाले बड़े साहब...मूर्ति में तू भले ही रहेगा पर रूप तो तेरा मूर्ति वाला रहेगा न.... जैसे तू मूर्ति में कैद है.... आजकल की तस्वीर जैसे.... तो एक बात बता जब तुझे गले लगाने को मैं आगे बड़ूंगी तो ये तुम्हारे प्रिय पंडित जी तो मुझे मंदिर से डांठ कर बाहर निकाल दिंगे न.... ऊपर से तुझे देखने को लाइन ही इतनी ज्यादा लगी रहती है.... तो तू उस समय मुझे लाइन क्यों मरेगा ???


सबके सामने तो तुझे दस किरदार एक साथ निभाने पड़ते है.... किसी का भाई... किसी का पति... किसी का पिया....किसी का पिता .... और मेरा ??? फिर मेरे लिए तो कुछ बचता ही नहीं है तेरे पास... और ये मूर्ति में तो तुझे स्पर्श भी नहीं कर सकती.... क्योंकि तू तो बड़ा आदमी है.... हम जैसे क्या योग्य है तेरे??
ये सवाल आता है जब भी तुझे देखती हूं सिंघासन में..... पर तू फिर भी पता नहीं मुझे राजा की जगह एक बावला ही प्रितित होता है... वो बावला....जो अपने प्रेमी के लिए हर सीमा लांघ दे....वो बावला.... जो अपना नाम प्रेमी के नाम करवा लें.... वो बावला जो हर प्रेमी के लिए नया रूप लेले....अपना स्वयं का अस्तित्व खो कर....!!!!!



पर एक बात कहुँ.... तू कब तक इतने किरदार निभाएगा.... जब भी तुझे लगेगा तू थक चुका.... तो मुझे याद कर लेना....हाँ.... अगर तू बड़ा आदमी बनके भी आएगा मिलने तो थके हारे राजा को दूर से हवा कर दूँगी.....और अगर तू छोटा बच्चा बन कर आएगा तो अपने आँचल में छिपा तुझे लोरी सुना दूँगी..... और अगर तू खुद ही खुद का सत्य रूप लेकर आएगा तो तुझे उसी रूप में अपना भी बना लुंगी.... अब चयन तेरा है लालू क्या करना है तुझे.... मेरा बनना है ??? या फिर मुझे अपना बनाना है.... सोच ले.... अंतर बहुत है दोनों में !!|


● राधिका कृष्णसखी

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