रमणा सखी (पार्ट -2) एक गलती ...क्या यही समाप्ति है ?
प्रिय.....
समझ नहीं आता अब ... क्या कहूँ तुमको ... अपना कहुँ ... तो दिल की धड़कन बढ़ने लगे जाती है ... साँसे अटक जाती है ... और पराया कहुँ तो प्राण निकल जाते है ... ये मैं पत्र नहीं अपनी मन की हलचल लिख रही हूँ ... समझ नहीं आता किससे कहुँ ... तुमसे बोलने का मन तो करता है ... पर ... पर नहीं बोल सकती ... क्योंकि तुम जब भी सामने आते हो कुछ बोलने को बचता ही नहीं है ... और जब भी दूर जाते हो तो वो गयाब शब्दों में मानो जान आगयी हो ...मन तो करता है बस तुम्हारा नाम लेकर सारा दिन नाचती रहूँ ... तुम्हारे लिए सजती रहूँ ...!!
तुम्हारी उस कुछ पलों की यादों ने जब मुझे इतना पागल बना दिया था ... मैं बता नहीं सकती अब की यादों ने क्या हालत की है ... और अब तो ऊपर से तुमने मिलने का भी वादा कर दिया है ... दिन क्या ... एक एक पल मेरा कैसे कट रहा है मैं बता नही सकती !!
तुमको ये पत्र इसीलिए लिख रही हूँ ताकि तुमसे मन की वो हर बात कह दू जो तुम्हारी नयनों को देख मैं भूल जाती हूँ ... अगली बार जब तुम जाओगे तब तुमको ये पत्र दूंगी ताकि तुम ... जाओ भी तो ... मेरे इस एहसास को साथ लेकर जाओ !! ... भले ही साथ नहीं मिल सकता पर श्याद एक याद बन कर रहूँ तुम्हारे साथ जो तुम्हारे लिए महत्वपूर्ण भी न हो !!
पुराना पत्र .... शायद तुमको कभी मिला भी न हो... चलो कोई न मैं उससे आगे से शुरू करती हूँ अब !! ... जब हम बैल गाड़ी से निकल रहे थे मैं तो रोते मन से आसपास देख रही थी कि अब तुमको शायद कभी न देख पाऊँ ... पर अचानक से तुम उन वृक्षों के बीच मे से निकले ... और मेरे ही बगल में आकर बैठ गए ... मेरी तो मुस्कुराहट ही अटक गई थी ...तुमको देखने मे दिल तेज धड़क रहा था ... ऊपर से तुम्हारी वो सुगन्ध ... तुम हमारे साथ आधे रास्ते तक साथ जा रहे थे ... मैं तो सोच रही थी काश कुछ हो जाए और तुम ...यही रुक जाए ... मेरे साथ तो उस दिन एक से एक चमत्कार हो रहे थे ... उस दिन मौसम खराब होने के कारण हमें सच मे रुकना पड़ा ... हम किसी जान पहचान के वहाँ रुक गए थे और मैं काम करते हुए तिरछी नजरो से तुमको ही देखती जा रही थी...कितनी बार तो हमारी आँखे भी टकराई और हर बार मैं सोचती नहीं नहीं अब नहीं देखूँगी नहीं तो तुम्हें शक हो जाएगा पर बार बार नजरे तुम पर ही जाती ...!!
रात को जब सो गए थे तो मुझे नींद ही नहीं आ रही थी क्योंकि नींद चुराने वाला इतनी पास जो था आज ... तुम तो बाहर गए थे सोने के लिए... तो मैं चुपचाप बस एक नजर देखने तुमको बाहर आगयी ...
तुम बाहर बैठे आसमान की ओर देख रहे थे और मैं तुमको पीछे से ... मैं दरवाजे के थोड़ा कोने में बैठ तुमको निहारते हुए पता नही कब सो गई ... फिर से चिड़ियो की चहचाहट से मेरी नींद खुली बाहर हल्का सा उजाला था ... सूरज निकलने ही वाला था और तुम वहाँ नही थे जहाँ कल को बैठे थे... मेरा मन फिर तुमको देखने के लिए मचलने लगा ... मैं धीरे धीरे तेज कदमो से तुमको ढूंढने लगी ... तुमको नहीं पता तुम्हारी हर झलक मेरे लिए कितनी कीमती है ... काश तुमको मैं बता पाती !!
मैंने दूर से देखा तुम नदी किनारे सोए थे ... मैं हल्की सी मुस्कान के साथ तम्हारे पास आने लगी ...और मेरी दिल की धड़कन भी बढ़ने लगी ... तुमको जगाने का मेरा मन तो बिल्कुल नहीं था क्योंकि तुम लग ही इतने प्यारे लग रहे थे ... पता है कैसे ... जैसे कोई गुलाब की कली खिलने को तैयार हो... तुम्हारी बंद आँखे ... तुम्हारे चेहरे को और मासूम बना रही थी ... एक तो तुम पहले से इतने कोमल प्रितित होते हो पाता है उस समय तुमको देख ऐसा लग रहा था मानो कोई नन्हे शिशु ने आज ही जन्म लिया हो... तुम क्या ब्रह्मांड के साथ कोई खेल खेल रहे थे उस दिन ?? क्योंकि दोनों साथ साथ ही उठ रहे थे ... मेरा मतलब है कि ऐसा लग रहा दोनों एक दूसरे में समाहित हो गए हो !! अचानक से तुमने धीरे धीरे आँखे खोलना शुरू की वैसे ही सूर्य भी प्रभात की पहली झलक के दर्शन दे रहा था ... जैसे जैसे तुम आँखे खोलते सूर्यदेव भी अपने अस्तित्व में उसी ही समय मे आते ... जब तुमने पूर्ण रूप से आँखे खोल ली थी... तभी धरती में सूर्य का उस समय पूर्ण रुप से आगमन हुआ ... मानो तुम्हारी ही प्रतीक्षा कर रहे हो !! पर एक बात कहुँ ... मुझे पता है उस दिन मुझे आकाश में तीन ...नही दो... सूर्य लग रहे थे ... पता है कैसे ... तुम सूर्य के बिल्कुल सामने थे ... तो कभी मुझे लगता कि मानो तुम्हारा एक नयन सूर्य के समान हो क्योंकि जैसे जैसे सूर्य उग रहा था वैसे वैसे ही तुम्हारी छोटी छोटी आँखे खुल रही थी... और कभी मुझे लगता कि मानो आज आकाश में तीन सूर्य उग आए हो ... दो तुम्हारे नयन और एक तो है ही सविता देवता ... तुम्हारे होंठ कैसे सुकुड़ रहे थे ... ऐसा लग रहा था गुलाब का फूल बस हवा के झोंके में झूम रहा हो ... तुम्हारे बाल जो अस्त व्यस्त हो रखे थे ... वो तो मानो कोई हरे भरे वृक्ष में लगे घने फूलों की टहनी हो ... मुझे समझ नहीं आ रहा था फिर से ... तुमको कैसे एक बार मे देख लू पूरा ... तुम्हारा हर अंग मानो कोई सागर सा हो जिसमें बस डूबते जाओ !! अरे बताना ही भूल गयी ... तुम जब अंगड़ाई ले रहे थे ... तो मुझे पता नहीं क्यों शर्म आ रही थी ... बता नहीं सकती पर तुम बहुत अच्छे लग रहे थे ...!! और तुमने अचानक से अपने नयन मेरी तरफ कर लिए ... मैं एक तो बड़ी मुस्किल से अभी तक तुमको चोरी छिपे देख रही थी ... उस समय पता है मुझे कैसा लग रहा था ... मानो मैंने कुछ बड़ी चोरी की हो ... मैंने फिर तेजी से नजरे घुमा कर नदी की ओर करदी ... और मैं नदी के बीच मे जो कमल का फूल खिला हुआ था उसकी ओर चल दी अपनी घबराहट छिपाने के लिए !!
एक तो पीछे देखने की तुमको हिम्मत नहीं थी... और अब तो मुझे सामने फूल की जगह तुम ही दिखने लग गए थे ...तुम्हारी झलक मेरे सामने से जा ही नही रही थी ... मुझे कमल के फूलों में तुम्हारे गुलाबी वस्त्र नजर आ रहे थे जिसमें तुमने पत्तो का सुंदर हार पहना हो... मुझे समझ नहीं आ रहा था मुझे उस समय क्या हो गया था ... और ऊपर से तुमको देखूं तो घबराहट होती न देखु तो जान निकल जाती !!
मन की इसी अजीब सी हलचल के कारण अचानक से मेरा पैर फिसल गया और मैं गंगा जी मे जा गिरी ... पानी का बहाव हल्का तेज सा था ... मुझे तो लग रहा था मैं डूब ही जाती ... इतना ठंडा पानी था कि मेरा सारा शरीर भी कांप रहा था ... अचानक से मुझे मेरे कमर में रख गर्म अहसाह हुआ ... ऐसा अहसास शायद वो कभी नही हुआ था ... तो मैं बता भी नहीं सकती ... तुम थे पीछे ... मुझे तो लिखते हुए ही इतनी शर्म आ रही है सोचों उस समय का हाल हुआ होगा मेरा ... तुमने मुझे दूसरे हाथ के सहारे से अपनी ओर किया ... जहाँ जहाँ तुम्हारा स्पर्श महसूस हो रहा था ... वहाँ वहाँ ऐसा लग रहा था मानो आज मेरा नया ही जन्म हुआ हो ... जब तुमने मुझे अपनी ओर पलटा ... तो तो... बस ये समझ लो तुमने जैसे किसी को अपने नैनों से आघात कर दिया हो... तुमको इतनी पास से देखना ... और संग तुम्हारा ये स्पर्श के अहसास को जीना... लगता जैसे यही है मोक्ष का द्वार... उस वक्त तो वैसे कुछ मैं सोच ही नहीं पा रही थी... मेरा दिमाक चलना बंद होगया था... शायद तुम मुझसे कुछ बोल भी रहे थे... पर मैं तो तुम्हारी दुनिया ने मग्न थी इसीलिए कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था !!
तुम मुझे अपने सहारे बाहर तक लाए ...जब हम बाहर आगये तो मेरा तुमसे दूर जाने का मन नहीं हो रहा था ... मैं तो अभी भी बस तुम्हारे नयनों के जादू से घायल थी ... तुमने तेज स्वर में मुझे जगाने के लिए शायद मेरे नाम लिया था .. तब मैंने तुम्हारे अधरों को गौर से देखा ... उन की कोमलता तो मुझे पहले से ही प्रिय थी पर आज गुलाब को इतनी पास से देख... मैं खुद को रोक नहीं पाई... आज भी क्षमा मांगती हु... तुमसे बिना पूछे मैंने गुलाब के सुंगंध को पाना चाहा ... पर वो पल... बस ... मैं नहीं लिख पाऊंगी ...मैं तो उसके बारे के सोच कर ही अलग अवस्था मे चली जाती हो तो आगे क्या ही लिखूं...
श्याद मेरे उस व्यवहार के कारण तुम भी चोंक गए थे न... मुझे कुछ पलों के बाद अचानक से अहसास हुआ ये मैंने क्या कर दिया ... मैं तुम्हें धक्का देकर बिना पीछे मुड़े घर की तरफ भागी |.
मेरा मन कर रहा था मानो बस कहीं मुँह छिपा लू और गायब हो जाऊं... तुमको सामना करने की हिम्मत नहीं था ... मुझे बहुत ग्लानि भी हो रही थी कि तुमसे बिना पूछे ही मैंने ... वो सब कर दिया .... तुम्हारे बाग में प्रेवेश करने का प्रयास किया .... जब तुम कुछ समय बाद आए ...तुम एक दम सामान्य व्यहवहार कर रहे थे .... मेरी भी हिम्मत नहीं हुई तुमसे नजरे मिलाने की....इस बार तो तिरछी नजर भी नहीं मिला पा रही थी....
मैं तो गाड़ी में भी पहले जाकर बैठ गयी ताकि तुमको न देखना पड़े ... पता नहीं तुम क्या सोच रहे होंगे मेरे बारे में .... जाते हुए पिता जी ने तुमसे वापिस आने का वादा लिया .... उस समय तो तुमने वादा दे दिया ... पता नही तुम आओगे या नहीं ... मेरे लिए तो बस वादा ही काफी है तुम्हारा इंतज़ार करने के लिए .... और बस अपनी गलती और तुमको याद करने के लिए....एक तरफ मन में डर भी है तुम्हारा सामना कैसे करूंगी ... एक तरफ ये भी है कि मिलना तो है ही तुमसे .... जानती हुँ तुम्हारे तरफ से कुछ नहीं है तभी तो... तुमने उसके बाद एक बार भी नहीं देखा मेरी ओर.... तुम सोच रहे होगे... होगी कोई पागल.... है श्याम... पागल ही समझना मूझको... इतना ही काफी होगा मेरे लिए.... बस अब आगे नहीं लिख पाऊँगी... शयाद अब तुमको कभी न देखु पर इस पत्र को रोज पढ़कर वापिस तुमसे जरूर मिल लूँगी... अपना बस ध्यान रखना तुम... मिलेंगे कभी किसी जन्म... जिसमें शायद तुम भी मूझको देखो !!
तुम्हारी ....
रमणा सखी
● राधिका कृष्णसखी
✨🌸🌻🎊🌷🎊❤️🎉💟🥰राधे राधे✨🌸❤️🎊
🌷🌻💟❤️
Comments
Post a Comment
Radhe Radhe 🙏🙏
May krishna bless you 💝
Hare Ram Hare Ram Hare Krishna Hare Krishna 🙏🙏