ताशी - 3
ताशी - 3

जब से मुझे पता चला था कि काशी ही कृष्ण है मेरा रो रो कर बुरा हाल हो गया था , हर वक्त केवल उसके साथ बिताए पल मुझे याद आते ... हर चीज में वो याद आता , अगर कभी सफाई करती तो याद आता कि कैसे वो जान बूझ कर कदम बढ़ाता था ..., और खाना बनाते समय वो उसका गाना याद आता जो वो गाया करता था जब भी उसको भूख लगती ... घर पर क्या कहूँ कुछ समझ नही आता ... अब मुझे अफसोस हो रहा था क्यों सब भूलने का बोला मैंने ... कमसे कम उससे अच्छे से विदा तो ले ही लेती मैं | उसका वो पत्र जब भी अकेले मौका मिलता तो सीने से लगा लेती ... शायद उसका वो स्पर्श मिल जाए इस उम्मीद में !! मुझे यही लग रहा था कि वो मुझसे अब दूर चला गया ... मैं बस अब दिन रात उसको ही याद कर रही थी ..., वो यादे और उसकी हर एक चीज मेरे हृदय को चीर रही थी ... मेरा रोम रोम बस कृष्ण नाम ले रहा था ... इसी वजह से मुझे भुखार भी आगया मैं बस अब बिस्तर में पड़े पड़े कृष्ण नाम जपती रहती और उनको याद करती कभी खुद को कोसती तो कभी वो सारे पल याद कर मुस्कुराती |
ये सब कुछ दिन तक चलता रहा मेरे घरवाले भी परेशान ही थे हालात देख ... उनको लग रहा था ये सब सफर के कारण हो रहा है|
पता नहीं कैसे पर ये इंतज़ार आखिरकार खत्म हुआ...जब उस शाम दरवाजे की घण्टी बजी उसके साथ मेरे दिल की धड़कन भी बढ़ गयी ... पहली बार ऐसा हुआ था इतने दिनों में जब मुझे इतनी ताजगी महसूस हुईं... मैं अपने बिस्तर से बस उठ कर दरवाजे की ओर भागने लगी ...मुझे नहीं पता था कौन है फिर भी मैं चली जा रही थी |
मैं गेट तक पहुँचती उससे पहले ही दरवाजा पापा ने खोल दिया ...मैं चौंक गई ... ये तो काशी था ... मेरा दिल और जोर से धक धक करने लगा ...मेरा शरीर मानो जम सा गया हो ... मुझे समझ नहीं आरहा था मैं मुस्कुराऊँ या रोऊँ ... मैं बस उसको देखती जा रही थी |
वो आज कोट पेंट पहन कर आया था ... सुंदर तो वो था ही पर आज और भी लग रहा था ... मैं बुत बनकर उसको देखने मे इतनी मगन थी कि पता ही चला कब वो अंदर आकर बैठ गया ... थोड़ी देर में बाकी घरवाले बाहर आए तब आई होश में मैं ... मुझे पता चला वो पापा के दोस्त का बेटा बनकर आया है और कुछ दिन यही रहेगा यहाँ कुछ काम है उसको... मैं बस शांत होकर सब सुन रही थी क्योंकि अब शब्द गायब हो चुके थे ... और गाल लाल शर्म के मारे !!|
पापा मुझे वही बैठक में आने को कहने लगे ... " क्यों ? तुमने बतया नहीं ये वही थे तुम्हारी मदद करने वाले !! "
"मुझे भी नहीं पता था !" इतना ही कह पाईं मैं आँखे नीची करके बैठ गयी ... वो मेरे सामने बैठा मुझे देखा जा रहा था और मेरे पास हिम्मत नही हो रही थी आँखे मिलाने की ...
"इतने दिन इन्होंने तुम्हारी मदद की तो अब हमारी भी बनती है जिम्मेदारी अच्छा हुआ इसके पापा ने फोन मिला दिया हमको ... और इस बहाने से इनसे मुलाकात भी हो गयी "
वो हँस रहा था मैं तिरछी नजरो से उसको देख रही थी सब घरवाले वही बैठे थे तो हिम्मत कुछ भी करने की और नही आ रही थी |
थोड़ी बहुत बातों के बाद उसको खाना खिलाने को अंदर लेजाने लगे ... घरवालों को तो बाहर आज शादी में जाना था और शादी भी जरूरी थी पड़ोसी की तो मना भी नहीं कर सकते थे ... मुझे मेरी खराब तबियत के कारण उनलोगों ने नहीं लेजाने का फैसल ले लिया था ... और पता नही काशी पर कैसे इतनी जल्दी विश्वास आगया जो उसको और मुझे अकेले घर छोड़ने के लिए वो राजी भी होगये थे |
मम्मी बोली कि वो काशी को खिला कर जाएंगी क्योंकि उनको मेरी तबियत और हालात देख कर मुझ पर खास भरोसा नहीं था ... और मुझे पता नहीं क्या हुआ जैसे ही मम्मी खाना देने की अंदर गयी मैं भी चुपचाप उसी कमरे के कोने में बैठ गयी ताकि काशी को फिरसे तिरछी नजरो से निहार पाऊँ ... जब मम्मी रोटी लेने गयी ... तभी काशी सब्जी चहिए बोल पड़ा...
मम्मी कुछ कहती उससे पहले ही मैं उठ कर सब्जी देने चल दी ... मैं उसको सब्जी दे रही थी पता नहीं क्यों सभी घरवाले मुझे घूरे जा रहे थे |
मम्मी रोटी लेकर आती हुई बोली ...अब अगर सब्जी देने की ताकत आगयी तो बर्तन भी धो देना ... सब हँसने लगे | शायद इतने दिनों से मैं बिस्तर से उठी नही थी और आज ऐसे काशी के बाद उठ कर काम करने लगी इसीलिए सब ऐसे मुझे देख रहे थे | और काशी भी उनके साथ हँसे जा रहा था ... अभी तो आया है और उसने इतनी जल्दी घरवालों को अपनी तरफ कर लिया था सब उससे अलग ही खुश थे |
काशी को खिलाकर घरवाले चले गए ...घर मे अब बस मैं और वही बचे थे ...मैं बिन कुछ कहे उसके झूठे बर्तन रसोई की ओर ले जाने लगी और वो मुझे बस बैठ देख रहा था ...मैं बर्तन रख उनको धोने लगी ... और उसके बारे में सोचते सोचते पता नहीं कहाँ खो गयी ... जब होश आया तो देखा बर्तन तो अभी एक भी नहीं धोया था सपनो में खोई हुई थी मैं तो ... और पता नहीं कब काशी मेरे पास आकर मेरे चेहरे को देखा ही जा रहा था |
मुझे शर्म आने लगी ... और घबराहट में बर्तन मेरे हाथ से छूट गया ... काशी ने बर्तन उठा कर मेरे हाथ मे देते हुए बोला "तुमको छोड़ने का शौक है न ...? "
मैं प्रश्न भरी नजरों से उसको देख रही थी "मतलब !!"मैंने पूछा
"मतलब क्या ... मैं तो बस बर्तन की बात कर रहा था ... क्यों तुमने क्या समझा !! " वो ये बोल मुस्कुराने लगा और मेरे पास आने लगा , फिर से उसको पास आकर देख मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयी ... मैं पीछे की ओर जाने लगी |
"मैं तुम्हारे पास नही हाथ धोने आ रहा हूँ ..., डरो मत !!"फिर हँसते हुए वो हाथ धोने लगा |
मैं तो बस उसको देखी जा रही थी ... आखिर वो वही था जिसका मैं इंतज़ार कर रही थी ... मन मे इतना कुछ था बोलने को पर समझ ही नहीं आ रहा था कहाँ से शुरू करूँ |
"तुम इतने धीरे काम करती हो न ... इससे अच्छा मैं ही करलूँ ... पर मैं क्यों करुँ ... मैं काफी थक गया हूँ कमरा दिखा दो मुझको मेरा !!"
" हम्म " मैं इतना ही कहकर ऊपर वाली मंजिल में जो कमरा था वहाँ ले गई उसको ... वो पीछे पीछे आता हुआ मुझको देखा जा रहा था ... और मैं तिरछी नजरों से उसको ... मैंने कमरा उसको दिखाया और वो बिस्तर में बैठ कर मेरी तरफ देख कर बोला " यहाँ क्यों खड़ी हो ...काम है कुछ ? मुझसे !! "
"नहीं..."
"फिर जाओ !! "
"नहीं..."
"क्या नहीं ..."
"वो नहीं नहीं..."
"नहीं के इलावा कुछ कहना है तुमको ??"
"नहीं ..."
वो उठ कर मेरे पास आगया और मेरी आँखों मे आँखे डाल कर मुझे देखने लगा |
फिर से मेरी दिल की धड़कन तेज हो गई और इस बार मेरे अंदर में जो भरा हुआ था वो आँशुओ के माध्यम से बाहर आगया |
मैं जोर जोर से रोने लगी और कहने लगी मेरी ही गलती है सारी मुझे माफ़ कर दो ...
वो मुझे सहारा देकर अंदर लाया और बिस्तर में बिठाया और मेरे पैरों के पास नीचे बैठ कर मेरे आँशु पोछने लगा |
मैं रोते रोते नीचे की ओर झुकने लगी "तुम नीचे पैरो के पास मत बैठो पाप लग जाएगा मुझको !! "
उसने मुझे हल्का सा धक्का दिया ताकि मैं नीचे न आऊँ और अपना वहीं बैठे बैठे बोलने लगा " उस दिन तो मूझे बड़ा बोल रही थी कि तुम नीचे सो जाओ मैं ऊपर सोऊंगी !! आज क्या हुआ ??"
"मुझे क्या पता था तुम कृष्ण निकलोगे !!" मैं यह भी रोते रोते उसकी आँखों मे देख कर बोली |
"और जब पता चला तब भी तो मुझको छोड़कर क्या भूल कर चली गयी ...ये दोगलापन मत दिखाओ तूम अपना !! "
"नहीं नहीं ऐसा नहीं है !! " ये भी मैं रोते रोते कहने लगी|
" बात कैसे भी हो... पहले तुम ये रोना अपना बन्द करो ... समझ आ नहीं आ रहा बोल क्या रही हो तुम !! "
"हम्म... " मैं उसकी आँखो में फिर से देखने लगी ... वो अपने हाथों से मेरे आँसू पोछने लगा ...... इतनें में अचानक तेज बारिश की आवाज आने लगी ... और मैं फिर से रोने लगी |
"अब क्या हुआ ??" वो चोंकता हुआ बोला
"तुम्हारे लिए जो मौफलर लिया था वो तो ऊपर छत में ही छूट गया ...!!"
"तो इसमें रोने की क्या बात है ?? ... चलो न "
" मुझे नहीं जाना तुमको छोड़ कर ..." फिर से मैं रोने लगी
उसने मुझे उठाया और हाथ से आगे का इशारा करते पीछे से कान में फुसफुसाता हुए बोला ..." तुम्हारे पास ही था पहले भी और अभी हुँ और आगे भी रहूँगा !! "
इतना सुनते ही फिर से मेरी धड़कन और मेरे रोंगटे मानो खड़े होगये हो...वो मुझे पीछे से धक्का देते हुए बाहर की ओर ले गया और ... हम छत पर चले गए ... मैं जैसे ही बारिश में गयी मौफलर उठाने , वो पीछे से छाता लेकर मेरे पीछे पीछे चलने लगा... मैं शर्माती हुई धीरे धीरे चलने लगी ..." मेरे हाथ दर्द करने लगेगा थोड़ा जल्दी मैडम !!" और फिर से वो हँसने लगा |
मैंने बिना पीछे मुड़े मुअफलर उठाया और जैसे ही पीछे मुड़ी वो मेरे पीछे ही था ...उसको देख मैं हड़बड़ा दी और फिसल गई ... उसने एक हाथ से छाता पकड़ा और दूसरे से मुझको ... मुझे तो ऐसा लग रहा था जैसे कि क्या बताऊँ ... मैं बस अभी भी उसकी आँखों मे देखी जा रही थी ...... वो हँसते हुए बोला खाना कितना कम खाती हो तुम बहुत हल्की वो ... उसकी बात सुनकर मुझे होश आया और मैं भागने लगी नीची की ओर ...वो धीरे धीरे मुझे देखते हुए आने लगा |
मैं हल्की भीग गयी थी ...वो चूपचाप आकर अपने बिस्तर में बैठ गया ... और बोला ... " तुम जाओ नीचे सो जाओ कपड़े बदल कर ठंड लग जाएगी तुमको ... !!"
" हम्म " मैं नीचे की ओर जाने को मुड़ी |
"सुनो ... वो जो लाई थी वो ही देकर जाओ कम से कम"
मैंने उसके पास आकर उसकी आँखों मे देख कर मौफलर दिया ...और मैं पीछे मुड़ गई ... कितना अजीब था मैं नहीं जाना चाहती थी ...फिर भी जाना पड़ रहा था... मन तो था काश उसको देखती रहुँ पर मुझे जाना ही पड़ा क्योंकि ऐसे घरवाले आने वाले थे तो अच्छा भी नही लगता |
"तुम नहीं कम से कम ये तो साथ रहेगा न मेरे ..., "
"मतलब ..."
मैं जैसे ही पीछे मुड़ने को हुई , वो एकदम से बोल पड़ा !!
" पीछे मत मुड़ना बस तुम ... और नीचे चली जाओ !! "
मैंने भी उससे कुछ नहीं कहा आँखों मे बस आँसू लिए मैं भी चल दी नीचे की ओर ...घरवाले भी अभी कुछ देर में आने को हुंगे ...
मैं चाह कर भी उपर नही जा सकती ... और अजीब सा लग रहा है ...मन कर रहा है जाकर उससे सब बोल दू जो मन में है पर... क्या ये ठीक रहेगा ??
देखते है डायरी अब कल क्या होगा ...उसको नींद तो आ रही होगी...,पता नही क्या कर रहा होगा !! सबके सोने के बाद जाऊँ क्या मैं ?बस वो अच्छे से रहे और खुश रहे और मुस्कराता रहे ||
● राधिका कृष्णसखी
✨❤️राधे राधे❤️✨
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Radhe Radhe 🙏🙏
May krishna bless you 💝
Hare Ram Hare Ram Hare Krishna Hare Krishna 🙏🙏