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" राधेश्याम की कलियुगी लीला!! "

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 राधिका कृष्णसखी: " राधेश्याम की कलियुगी लीला!! " आओ सुनो मन को हर्षित करने वाली एक कलियुगी प्रेम लीला,   आए थे जिसमें राधेश्याम स्वयं धरती पर हरने अपने भक्तों की पीड़ा ; रहता था एक दफा पृथ्वी पर एक परमेश्वर प्रेमी जोड़ा, घोर तप कर दोनों ने प्रभु से ये बोला --                "है हमारे पास सब सुख !      नहीं हैं आपके रहते हुए कोई भी हमें दुख !!       पर फिर भी मन में है एक गहरी आस!        आए है परमेश्वर इसलिए हम तेरे पास!!     न चाहिए हमें धन और न ही मांगे हम पुत्र लाभ!    बस कर दे पूरा हमारा श्री राधेरानी को पुत्री बनाने का ख्वाब!!  जिस प्रभु पर ह यह सारा ये जग है मरता!   चाहिए हमको वही राजकुमारी जिससे गोकुल का ग्वाला सबसे अधिक प्रेम है करता !! देदो नाथ हमको भी मौका विष्णुप्रिया के कन्यादान करने का !   देदो हमको मौका लाडलीजी की लिलाओ पर मर मिटने का!!  आप न करना उनकी कोई भी चिंता रहने की!  नहीं आएगा कोई भी अवसर हमारी शिकायत क...

कृष्ण प्रेमी की दिल की व्यथा की छोटी सी कहानी ....

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ओ कान्हा !!!! तुम पास होकर भी दूर हो....  और तुम साथ हो फिर भी मैं अकेली...  पता नहीं क्यों हैं ऐसा...  पर गिरधर यही सच हैं...  मैं तुम्हे अपना सबकुछ मान चुकी हुँ...  तुम्ही मेरा संसार और तुम्ही मेरी दुनिया हो...  पर कभी कभी लगता हैं... कहीं तुम मेरा कोई भ्रम तो नहीं ..?  मैं खुद में ही उलझी हुँ...  मैं जानती हूं तुम मुझे सुन सकते हो...  पर क्या कभी ऐसा दिन आएगा...?  जब मैं तुम्हे सुनू....  जब सिर्फ तुम बोलोगे और मैं सुनूँगी...  क्या कभी ऐसा दिन भी आएगा...??  जब मैं तुम्हे छू सकूँगी...  जब मैं तुमसे घंटो बात कर सकूँगी...  शायद लोगों को लगे की मैं पागल हुँ.. 🙄 आखिर कैसे भगवान बात करेंगे???  वो भी मुझ जैसी से..🥺 और तो और भगवान हैं या नहीं   ये भी तो एक प्रश्न हैं..  दुसरो का तो पता नहीं पर मुझे विश्वास हैं... 🙂 एक दिन जरूर आएगा ऐसा...  जब तुम सच में साथ होगे मेरे...  जब तुम सच मे होगे मेरे साथ...  करेंगे हम साथ में ढेर सारी बात...  कुछ तुम कहोगे...  कुछ मैं कहूंगी......

"तब आएगा तुम्हारा कान्हा !!"

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तब आएगा तुम्हारा कान्हा !!       || कविता || ______________________ भुला कर चिंताएं सारी,  जपकर नाम गिरधारी ; अगर काट पाओगे तुम अपनी रातें ,  तो आएगा तुम्हारा कान्हा तुमसे करने बातें |  अपना नहीं , जब करोगे तुम मेरा काम पूरा ;  छोड़ कर सारी भौतिक इच्छाओं को अधूरा,  अगर तुम जी पाओगे मेरे वास्ते ; तब आएगा तूम्हारा कान्हा , तूमसे मिलने तुम्हारे घर के रास्ते | फल की नहीं,  जब करोगे तुम चिंता कर्म की ; बुराई कि नहीं , जब तुम स्थापना करोगे धर्म की,  कर दोगे अगर तुम पूरा यह काम ;  तो यह कान्हा भी हो जाएगा तुम्हारे नाम | जिस दिन तुम अपना प्रेमी , सत्य में मान लोगे मुझको ; दूंगा उस दिन मैं अपना असीम प्यार तुझको | पर क्या जी पाओगे तुम सिर्फ मेरे ही लिए ? ; जला पाओगे क्या तुम अपने हृदय में ,  कान्हा के नाम के दीये ||            - राधिका कृष्णसखी Image is also made by me .😊 HOME PAGE  -  HOME PAGE   of website ☝️☝️☝️☝️☝️ To find out more poems and stories.. _____________________________________...

" राधेश्याम की एक अनसुनी कहानी !! "

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" राधेश्याम की एक अनसुनी कहानी !! " आओ सुनाओ एक कहानी , है जिसकी प्रेरणा श्री कृष्ण और मां राधारानी | सुनो मेरे प्यारे सभी सखी सखाओ , है यह बात तब की ; जब जा रहे थे छोड़कर कान्हा अपने वृंदावन गांव | राधा जी को जैसे ही इसका चला पता , चल दी कृष्ण पास सब कुछ छोड़ खोल कर अपनी जटा | सुधबुध गंवा कर आई वह अपने जीवन के पास,   रख दी गोपाल के समुख दूर न जाने की उन्होंने आस | पर क्या करते नंदलाला बेचारे,  नियति के आगे वो भी थे हारे |  देख बहते अपनी प्रिया के आंसू ,  स्वयं जगत के पालन करता भी उस समय हो गए थे बेकाबू | भावुक होकर उन्होंने राधा को गले लगाकर सत्य समझाया , " सुन ले ! रे मोरी राधे प्यारी!! ; ये जगह है मोह माया | तू होती है काहे दुखी ! ,  रोएगी अगर तू तो मैं भी न रह पाऊंगा सुखी |  दूर कहां! मैं तो आ रहा हूंँ तोरे और भी ज्यादा पास ,  तेरे अंतर्मन में बस कर बना दूंगा तेरे अस्तित्व को और भी ज्यादा खास | " फिर उसी समय छोड़ राधकृष्ण ने शरीर अपने ; बना दिया खुद को एक ही प्राण , देव और पूण्य आत्माएं सारी ;  गाने लग गए थे दिव्य प्रेम के गुण-गान | दिव्...

"श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो !!!'"

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 "श्री जगन्नाथ जी का चमत्कार या कोई भ्रम था वो  " कृष्ण की कृपा जिस पर एक बार पर जाए उसका कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता , हमे हर परिस्थिति में उन पर विश्वास रखना चाहिए क्योंकि क्या पता ये उनकी कोई लीला हो ।।  आपने ये तो सुना ही होगा अगर मन में विश्वास गहरा हो और हृदय में अपार प्रेम हो तो भगवान को भी भक्त के पास आना ही पड़ता है .... ये सारी बाते मै इसलिए बोल रही हूं क्योंकि मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ कुछ समय पहले ....।। मुझे नहीं पता कि कब में कृष्ण के बहत करीब आगई...  शुरू-शुरू में तो वो मेरे सिर्फ दुख के ही साथी थे , पर धीरे धीरे मेरी अंतरतत्मा ही बन गए कृष्ण |  बात कुछ समय पहले की ही है,  मै सौभग्यवश एक सत्संग में गई थी अपने परिवार के साथ , वहा उस समय भगवान श्री जगन्नाथ जी के विषय में चर्चा चल रही थी | श्री जगन्नाथ के विषय में पहली बार मैंने इतनी गहरी बाते सुनी थी , जिसे सुनकर मै दंग रह गई मुझे वहा पता चला श्री जगन्नाथ में श्री बांकेबिहारीजी का ह्रदय वास करता है ... वहा एक दिव्य आलौकिक शक्ति वास करती है ... ये बात जानकर मै आश्चर्यचकित रह गई और मन ही मन वह...
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  " किसने कहा मैं अकेली हुँ ...?? " आज वैलेंटाइन है यानि 14 फेब्रुअरी...  मैं पार्क में बैठीं हुँ..  मेरे चारों ओर लोग़ अपने प्रेमी जोड़े के साथ है ...  पर मै अकेली हु ...  किसने कहा मैं अकेली हुँ..?  मैं तो अभी उसके साथ बैठी हुँ ...  जिसका ये संसार दीवाना है ...  जिसके दर्शन के लिए कई जन्म कम पड़ जाते है ..  वो कोई सेलिब्रिटी से कम थोड़ी है!! ..  सबसे बाड़ा सेलिब्रिटी है मेरा कृष्ण .. 😍😍 सही पहचाना आपने ...  पीले वस्त्र और मुरली वाला कृष्ण ...  हां !! जिसके सर पर मोरपंख है ... उसी की बात कर रही हु मैं ...  मैं अपनी आँखे बंद कर उसे महसूस कर रही हु ...  वही मेरे हर सपने का आरम्भ है और वही अंत...  मै अभी ये सोच रही हु..  की उसके कोमल हाथो में मेरा हाथ ...  मेरा सर उसके कंधे पर . ..  इतना सोच कर ही मैं मुस्करा रही हुँ ...  तो इसके आगे क्या सोचु पता नहीं 🤭 ...  मैं उसकी कोई बहुत बड़ी भक्त नहीं...  मैं तो उसकी पागल दीवानी हुँ...  वो मुझे दिखता नहीं है फिर भी दिखता है ..  वो...

"उसे तो नहीं पर शायद मुझे जरूर मिल गए थे बांके बिहारी !! "

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 "उसे तो नहीं पर शायद मुझे जरूर मिल गए थे बांके बिहारी !! "   यह तो हम सब जानते हैं कि श्रीकृष्ण सबसे बड़े लीलाधर हैं | उनकी लीलाओं को समझना असंभव सा कार्य है और जब मेरे साथ यह घटना घटी तो मुझे समझ ही नहीं आया कि यह लीला है या फिर कोई भ्रम है | अब आप सबका ज्यादा समय बर्बाद किए बिना मैं अपनी कहानी आरंभ करती हूँ ||  मुझे वृंदावन कान्हा से बड़ी मिन्नतों के बाद जाने का मौका मिला था, पर मुझे नहीं पता था कि वहाँ जाकर कुछ गजब सा होने वाला है... वहाँ कुछ ऐसा होने वाला था जो भ्रम था या कुछ और मुझे नहीं पता.... तो कहानी आरंभ होती है जब मैं वृंदावन धाम पहली बार गई थी... वृंदावन की पावन भूमि पर कदम पढ़ते ही राधे राधे की गूँज कानों में पड़ने लगी ,जैसे-जैसे श्री राधे-राधे सुनाई देता वैसे-वैसे ही एक अलग सी उमंग महसूस होने लगती | मेरे साथ मेरे पूरा परिवार राधा कृष्ण के धाम आया था, हम लोग बांके बिहारी मंदिर के बाहर काफी दूरी पर खड़े थे ,बड़े लोग पूजा का सामान लेने चले गए और हम बच्चों को कुछ सामान पकड़ाकर कर मंदिर से कुछ दूर छोड़ गए | बच्चों में मेरे साथ मेरे दो भाई और एक बहन थी | बड़ों ...