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"उसे तो नहीं पर शायद मुझे जरूर मिल गए थे बांके बिहारी !! "

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 "उसे तो नहीं पर शायद मुझे जरूर मिल गए थे बांके बिहारी !! "   यह तो हम सब जानते हैं कि श्रीकृष्ण सबसे बड़े लीलाधर हैं | उनकी लीलाओं को समझना असंभव सा कार्य है और जब मेरे साथ यह घटना घटी तो मुझे समझ ही नहीं आया कि यह लीला है या फिर कोई भ्रम है | अब आप सबका ज्यादा समय बर्बाद किए बिना मैं अपनी कहानी आरंभ करती हूँ ||  मुझे वृंदावन कान्हा से बड़ी मिन्नतों के बाद जाने का मौका मिला था, पर मुझे नहीं पता था कि वहाँ जाकर कुछ गजब सा होने वाला है... वहाँ कुछ ऐसा होने वाला था जो भ्रम था या कुछ और मुझे नहीं पता.... तो कहानी आरंभ होती है जब मैं वृंदावन धाम पहली बार गई थी... वृंदावन की पावन भूमि पर कदम पढ़ते ही राधे राधे की गूँज कानों में पड़ने लगी ,जैसे-जैसे श्री राधे-राधे सुनाई देता वैसे-वैसे ही एक अलग सी उमंग महसूस होने लगती | मेरे साथ मेरे पूरा परिवार राधा कृष्ण के धाम आया था, हम लोग बांके बिहारी मंदिर के बाहर काफी दूरी पर खड़े थे ,बड़े लोग पूजा का सामान लेने चले गए और हम बच्चों को कुछ सामान पकड़ाकर कर मंदिर से कुछ दूर छोड़ गए | बच्चों में मेरे साथ मेरे दो भाई और एक बहन थी | बड़ों ...

" क्या वह सच में चली गई अपने कान्हा के पास... ? !!" (कहानी)

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  " क्या वह सच में चली गई अपने कान्हा के पास... ? !!"© प्रेम के विषय में अब क्या है कहना ! , आप सब ने भी कभी ना कभी तो इसके खट्टे मीठे अनुभवों को जिया ही होगा | हम मनुष्यों के लिए प्रेम सिर्फ दो इंसानों के बीच का रिश्ता है , पर क्या हो अगर प्रेम का पावन रिश्ता एक भक्त और भगवान की बीच में हो? यह कहानी भी एक भक्त की ही है, जो भक्त के साथ दीवानी थी ! .... अपने कान्हा की | उठते-बैठते बस कृष्ण-कृष्ण ! ,अपनी छोटी से छोटी बात वह कान्हा को बताती, उनके लिए खाना बनाना, उनके विषय में बातें करना... इन सभी कामों में उसे  बहुत आनंद आता | कृष्ण को वो अपना सब कुछ मानती ;  पिता,भाई, मित्र,पति ,पुत्र | कभी मां का प्यार देती... तो कभी  बहन बन राखी बांधती | परंतु उसे सबसे प्यारा संबंध दोस्ती का लगता, क्योंकि इन सभी संबंधो का आधार प्रेम था , और प्रेम का आधार मित्रता , दिल से आत्मा की मित्रता | अरे, मै तो आप सभी को उस कृष्ण दिवानी का नाम  बताना ही भूल गई ! राध्या नाम था उसका .... मैं उससे पहली बार अपने स्कूल में मिली , मुझे वह बाकियों से थोड़ी अलग लगी ; इसके दो कारण थे, पहला उस...