अधूरे खत
5-6-24 【10:55pm】8 कृष्ण ... तुमसे कुछ कहना था !! समझ नहीं आता कैसे दिल की बात करुँ ... कभी लगता है तुम सुनने को हो नहीं और कभी लगता है सुनते होगे तो क्या सोचते होंगे मेरे बारे में ... मन तो मेरा भागता है तुम्हारे पीछे पर ... तुम पर ठहर नहीं पता ... तुम होते है भी मैं तुमको अनदेखा कर तुमको ढूंढती हूँ और तुम बस मुस्कराते हुए पीछे से मुझे निहारते हो !! 6- 6 -24. {11:24am} अगर कभी बारिश हुई ... तो मैं समझ लू क्या ये तुम ही हो जो मेरे पास आने के बहाने है तुम्हारे ... जानती हूँ तुम हिस्सा हो मेरी कल्पना का ... पर तुम ये भी जानते हो मैं भी तुम्हारा ही हिस्सा हूँ ... यानी मेरी हर कल्पना अब वो चाहे जैसी भी हो ... वो सब तुम्हारी ही है अब ...!! और मैं भी ... 8-6-24 11:31 तुमको नहीं पता तुम्हारी हर झलक मेरे लिए कितनी कीमती है ... काश तुमको मैं बता पाती !! मैंने दूर से देखा तुम नदी किनारे सोए थे ... मैं हल्की सी मुस्कान के साथ तम्हारे पास आने लगी ...और मेरी दिल की।धड़कन भी बढ़ने लगी ... तुमको जगाने का मेरा मन तो बिल्कुल नहीं था क्योंकि तुम लग ही इतने प्यार...