प्रिय अजनबी 3
प्रिय अजनबी , मुझे पता है तुमको इस खत की उम्मीद नही होगी ... देखो तुम खुद को दोष मत देना किसी चीज का ... तुमने जो भी किया वो बहुत है , बल्कि गलती मेरी है जो गलत जगह चली आई गलत समय पर ... मेरे उन दो खतों के कारण जानती हूँ तुमने मान रखने के लिए मेरा मुझे बुलाया अपने पास ... जानती हूँ मेरी वजह से तुमको काफी सुनना भी पड़ा होगा... मैं अपनी वजह से तुमको पीड़ा में नहीं देख सकती ... इसीलिए मैं हमेशा हमेशा के लिए जा रहीं हुँ ... शायद ये खत मेरा आखिरी हो... या फिर अंतिम समय मे भी प्रयास करूँगी लिखने का अगर हिम्मत हुई तो ...!! खैर मैं तुम्हारा ज्यादा समय नहीं करूँगी बरबाद ... क्योंकि अब मैंने देख लिया है तुम सच मे कितने व्यस्त हो ... मैं बस तुमको धन्यवाद करना चाहती हूँ ... और एक विनती भी की अब इस खत पढ़ने के बाद मुझे ढूँढने मत आना ... क्योंकि शायद मेरे पास से ज्यादा तुम्हारी जरूरत वहाँ है ... हाँ पर अगर तुम्हे कभी भी कष्ट हो तो बस याद कर लेना ... भले ही सुख में न साथ रह पाऊँ तुम्हारे ... पर तुम पर चुभने वाले हर काँटे का घाव पहले मूझको सहना है ... प्रेम में मिलन के सुख से अधिक सुख प्रेमी के लि...