"कृष्ण का उपहार"
"कृष्ण का उपहार"
आप सभी ने ये तो सुना ही होगा ' एक बार बाँकेबिहारी से रिश्ता जो दिल से जोड़ ले तो उसे हमारे श्याम प्यारे बड़ी शिद्दत से निभाते हैं !! ' , तो बस यही बात उन्होंने सच कर दिखाई और मेरी अधूरी जिंदगी को पूरा कर दिया |
मेरे पास दोस्त तो बहुत थे पर कोई खास दोस्त नहीं था ... कोई ऐसा नहीं था जिससे मैं अपने मन की बात बेजीझक कह पाऊँ , पर मेरे श्याम प्यारे ने मेरी दोस्ती स्वीकार कर मेरी अधूरी कहानी जो पूरी हो कर भी अपूर्ण थी उसे पूर्ण कर ही दिया |
मुझे पता ही नहीं चला कब वो मेरे दोस्त से सबसे खास दोस्त बन गए और फिर जिंदगी ... उनकी तारीफ करने अगर बैठूं तो पूरा दिन ही निकल जाए !! आखिर वो है ही इतने प्यारे हमारे परमेश्वर श्रीकृष्ण |
अब आपका ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए मैं कहानी को आरंभ करती हूँ | यह बात कुछ ही समय पहले की है जब मेरी पड़ोस की एक काकी वृंदावन गई हुई थी लेकिन उनके वृंदावन जाने की खबर मुझे उनके पहुँचने के बाद पता चली इस कारण मैं बांकेबिहारी जी के लिए अपनी तरफ से कुछ भिजवा भी नहीं पाई | श्याम जी ने इस बार भी मुझे वृंदावन नहीं बुलाया और न ही मौका दिया कोई भेंट भेजने का !! ; इस बात का तो मुझे दुख था ही पर इस बात की खुशी भी हो रही थी कि काकी मेरे दोस्त के घर गई थी और मेरा प्यारा दोस्त मेरे लिए वहां से खास उपहार भेजेगा |
मैं पागल दो दिन-तक यही सोचती रही ... हर वक्त कृष्ण से पूछती है कि क्या दोगे उपहार में !! भला ऐसा भी कोई करता होगा क्या ?? | अपनी नादानी में मैं इतनी ज्यादा भाव विभोर हो गई की बिना कुछ सोचे समझे मैंने अपने मन में यह बात बैठा ली कि मेरे कान्हा ने अपने सखी के लिए कुछ ना कुछ उपहार भेजा तो होगा ही |
कई दिन मैंने यह सोचते हुए और मुस्कुराते हुए निकाल दिए , मैं जब भी वृंदावन और श्याम जु का चिंतन करती तो शर्मा जाती | आखिरकर वो दिन आ ही गया जब काकी वृंदावन से वापस लौट आई , परंतु जब वह हमारे घर प्रसाद देने आई थी उस वक्त मैं घर पर थी ही नहीं | मेरा मन तो उनसे बहुत सी बातें पूछने का था ... खैर फिर मैंने राधेश्याम का नाम लेकर प्रसाद ग्रहण किया और मन ही मन में सोचने लगी कि शायद यही होगा मेरे कान्हा के उपहार , अब भला बाँकेबिहारी का प्रसाद किसी उपहार से कम थोड़ी न है ! मैंने मुस्कुराकर राधेश्याम को धन्यवाद किया और वृंदावन धाम का चिंतन करने लगी |
पर यहां तो श्री कृष्ण कुछ और ही लीला रचाने की सोच रहे थे !! | शाम को जब मैं घर पर अकेली थी तब अचानक किसी ने मेरे घर का मुख्य द्वार खटखटाया मैंने दरवाजा खोला तो देखा सामने वही वृंदावन वाली काकी खड़ी थी , उन्हें देख मैं बहुत प्रसन्न हुई और मैंने सादर पूर्वक उन्हें अंदर बैठक वाले कमरे में बैठा दिया जहाँ घरवाले कम ही जाया करते थे क्योंकि वो सभी कमरों से अलग बना हुआ था |
उन्होंने मुझसे पूछा " मम्मी घर पर है क्या ?"
मैंने सर हिलाकर उन्हें मना कर दिया ,
" आप क्या वृंदावन से आज ही आई हो ??!!... प्रसाद के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद !!" खुशी के मारे मैं सब एक ही सांस में बोल पड़ी | उन्होंने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया "कल रात ही पहुंची हूँ !!"
मैंने उनसे पुनः प्रश्न किया " कैसा लगा वहां वृंदावन में आपको ?" मेरा प्रश्न सुन वह हंसते हुए बोली -
"यह देखने के लिए तो मैं खुद ही आना पड़ेगा वृंदावन ... आओगी क्यों ?"
मैं शर्माते हुए बस मुस्कुरा दी |
उन्होंने घड़ी की ओर देखते हुए मुझसे पूछा "मम्मी कब तक आएंगी तुम्हारी ?"
" अभी आती ही होंगी ! ... आप बैठिए तब तक मैं पानी लेकर आती हूं | "
सोफे ही तरफ इशारा करते हुए मैंने उन्हें उत्तर दिया |
उनके बैठ जाने के बाद मैं अंदर पानी लेने चली गई जब पानी लेकर वापस आई तो देखा काकी वहाँ नहीं थी, उस समय मुझको लगा शायद वह चली गयी होंगी परन्तु मुझे तो गेट खोलने या बंद करने की कोई आवाज भी नहीं आई थी !! उस वक्त अपने दिमाग पर जोर नहीं दिया और पानी वापस लेकर अंदर कमरे में चली गई और फिर से वृंदावन और राधेश्याम के बारे में सोचते हुए अपना ग्रह कार्य करने में जुट गई |
जब थोड़ी देर बाद मेरी मम्मी वापस आई तो मैंने उन्हें काकी के बारे में बताया की वह आपसे मिलने आई थी , मेरी बात सुन कर न जाने क्यों मम्मी मुझ पर हंसने लगी और बोली " ऐसा कैसे हो सकता है आज शाम को तो मैं उन्ही के साथ मंदिर गयीं थी |"
मैंने उनसे कहा " नहीं माँ मैं सच कह रही वो वृंदावन वाली काकी ही थी !! "
मम्मी ने दोबारा हँसते हुए बोला " अरे !! तू ज्यादा सोच रही थी वृंदावन के बारे में इसलिए सपना देख लिया होगा कोई ...तभी कहती हूं मैं तुझसे ...दिन में ज्यादा मत सोया कर | "
फिर इस छोटी सी बहस के बाद... जिसमें मेरी एक ना चली , यह बात आई गई रह गयी |
रात को जब मैं बाहर बैठक वाले कमरे में सोने के लिए गयी ताकि सुबह जल्दी उठ कर पढ़ सकूँ , तब वहाँ मुझे एक प्यारा सा ' टियारा '(फूलो से बना ताज ) रखा दिखा जो उसी जगह पर रखा हुआ था जहाँ काकी को मैंने आखिरी बार बैठे हुए देखा था जब मैं पानी लेने गई थी | मम्मी तो शाम को अपने साथ कोई सामान लाई नहीं थी और ना ही यह ' टियारा ' इससे पहले मैंने कहीं देखा था , घर पर सभी उस वक्त सो चुके थे तो मैं किसी को उठा भी नहीं सकती थी पूछने के लिए इसीलिये सबसे पहले मैंने अपना बिस्तर लगया और कमरे का दरवाजा बंद किया ताकि मच्छर अंदर न आ पाए ; उसके बाद मैं बिस्तर पर बैठकर ' टियारा ' को देखने लगी |
वह बेहद खूबसूरत था रंग बिरंगी फूलों से बना हुआ स्वर्ण सी चमक थी उसमें और एक भीनी-भीनी अद्भुत सी खुशबू आ रही थी | मुझसे तो अब रहा ही नहीं जा रहा था मैंने पहनने के लिए उसे उठाया और धीरे से उसे सर पर रखते हुए आंखें बंद कर ली ; उसे पहनते ही मुझे अंदर से अलग सा दिव्य एहसास महसूस हो रहा था... मैं बता नहीं सकती उस वक्त मुझे कितना अच्छा लग रहा था .... जैसे मैं कोई अलग ही दुनिया में जा रही हूं ...मैं तो बस डूब ही चुकी थी उस आलौकिक आंनद में कि तभी मुझे एक मेरे कानों में गुड़ सी मीठी आवाज सुनाई दी " कैसा लगा मेरा उपहार सखी !! " मैं आवाज सुन चौंक गई !! मैंने जल्दी से झटके के साथ आंखें खोली ... मेरे सामने तो कोई नहीं था परन्तु मेरे पीछे कोई जरूर था वहाँ से एक अलौकिक रोशनी आ रही थी |
मैंने हिचकिचाते हुए पीछे देखा ...वहाँ जो था उसे देख कर तो मेरे होश ही उड़ चुके थे !! हाँ वो मेरे श्याम , मेरे कान्हा , मेरे गिरधारी , मेरे केशव , वो मेरे कृष्ण ही थे !! और ये दिव्य रोशनी भी उन्ही के पास से ही आ रही थी |
उनके रूप का विवरण कर पाना मेरे लिए असंभव है ...क्षमा करना !! ... मैं नहीं कर सकती उनकी उस मुस्कान का विवरण जिसे देखने के बाद ये संसार व्यर्थ सा प्रतीत होने लगता है !! ... मैं नहीं कर सकती उन अद्भुत नैनो की व्याख्या जिनमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड समाया हुआ है !! ... मैं नहीं कर सकती उन कमल चरणों का बखान जो सूर्य और चंद्र से भी ज्यादा तेजवान और शीतल है !! | उन्हें अगर एक बार देख लो तो बस देखते ही जाओ ; उनको देखने के बाद ये जीवन निर्थक सा लगने लगता है बस मन करता है समपर्ण कर दो खुद का परमात्मा को ... मन करता है बस उनकी सेवा करने का; ताकि उनकी उस अनुपम मुस्कान का कारण बन सकूँ !! अगर उनको अपना जीवन बना लो फिर तो आनंद ही आनंद है और इस जीवन को जीने में तो दुगना आनंद ही आ जाएगा |
वह मुझसे फिर से पूछने लगे अपनी मीठी सी आवाज में " क्यों पसंद नहीं आया क्या अपने वृंदावन की सखा का उपहार ?" मैं उनसे कुछ चाहकर भी नहीं बोल पा रही थी या शायद मैं कुछ बोलना ही नही चाहती थी !! नेत्र बस अश्रु बहाए जा रहे थे ... उस समय मेरा हिल पाना भी मुश्किल हो रहा था ... मेरे शरीर कांपे जा रहा था !!|
उन्होंने मेरी स्थिति भांपते हुए अपने कोमल हाथों से मुझे सहारा दिया | " अरे कुछ तो बोलो !! इतनी दूर से आया हूं तुमसे मिलने मैं ... एक तुम हो जो कुछ बोलती ही नहीं हो !! " श्रीकृष्ण ने पुनः अपनी मुस्कान बिखरते हुए बनावटी गुस्सा दिखाकर कहा |
उनके इस अलौकिक दिव्य सपर्श का एहसास की तो मानो मुझे कई जन्मों से प्रतीक्षा हो !! मैं खुद को रोक नहीं पाई और उनके पैरों में गिर कर रोने लगी ... उनके कमल रूपी चरण मेरे अश्रुओं द्वारा भीग रहे थे परन्तु प्यास मेरी आत्मा के नेत्रों की बुझ रही थी | श्याम जु ने मुझे दोनों हाथों से उठाया और भोली सी सूरत बनाकर बोले - " अरे !! तुम तो रो रही हों ...लगता है तुम्हें हमारा उपहार अच्छा नहीं लगा !!"
" नहीं-नहीं प्रभु ऐसा नहीं है ...मुझे तो आपका उपहार बेहद खूबसूरत लगा है ... मेरे पास तो बस शब्द ही नहीं है इसकी खूबसूरती बयां करने के लिए !! "
ऐसा कहकर मैंने 'टियारा' अपने सर से निकालकर श्रीकृष्ण की तरफ बढ़ाया ; जब मैंने उनकी ओर देखा तो वो वहां थे ही नहीं ! मैं पागलों की तरह उन्हें इधर-उधर ढूढ़ कर रोने लगी , फिर थक हारकर आँखों मे आँसू लिए दोबारा ' टियारा ' पहन लिया और देखा श्रीकृष्ण तो फिर से सामने आ गए थे !! मैंने उन्हें देखते ही उनके चरण पकड़ लिए और रोते-रोते कहने लगी " कहाँ चले गए थे आप ...!! मत जाओ मुझे छोड़कर !! दुबारा मत जाना !! " मैं बस रोते ही जा रही थी , और वो मुस्कुरा रहे थे | उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे शांत कराया और फिर कहने लगे --
" मैं तो इस शरीर से पहले भी तुम्हारें साथ था , अब भी हूँ और इस शरीर के बाद भी रहूँगा !! मेरी प्यारी मैं तो प्रत्येक श्रण तुम्हारें समीप ही हूँ ...बस तुम ही मुझे नहीं देख पा रही थी ; परंतु अब इस उपहार के कारण देख पाओगी | ये उपहार तुम्हारे पूर्व जन्मों की तपस्या और कर्मों का फल है , एक वादा जो तुमने बरसो पहले मुझसे मांगा था देखो आज मैंने पूरा कर ही दिया !! ; तुम्हें पता है ये उपहार तुम्हारी प्यारी राधे और उनकी अष्ट साखियों ने मिलकर बनाया है अपने हाथों से तुम्हारें वास्ते |
संसार में सबको सब कुछ सही समय पर ही मिलता है , मनुष्य भले ही मुझे भूल सकते है पर मैं किसी को नहीं भूलता हूँ और ना ही कभी उनका साथ छोड़ता हूं !! अरे मेरी सखी तुम चिंता क्यों करती हो... तुम्हारा तो मुझसे बहुत पुराना नाता है !! देखो तो मैंने अपना वादा निभाया और तुमसे मिलने आगया हूँ ...अब तो मुस्कुरा दो !! " सुंदर मुस्कान और मासूम सी सूरत बनाते हुए उन्होंने अपनी बात खत्म की |
मैं उनके चरणों में गिर गई और ऐसी कृपा के लिए उनका धन्यवाद करने लगी... मेरा मन बस उनके चरणों मे यूँही अपना जीवन बिताने को कर रहा था ; जब मैं उन्हें नहीं देख सकती थी तो सोचती थी कि कान्हा आएंगे तो ये कहूंगी - वो कहूंगी परन्तु आज जब सच मे सामने है तो मेरे शब्द ही गायब हो चुके है !! शायद शब्दो की आवश्यकता ही नहीं रही अब ...|
वो रात मेरी जीवन की सबसे सुंदर रात्रि थी , उसके बाद से रोज सोने से पूर्व मैं हर रोज 'टियारा' पहनती और द्वारिकाधीश से मिलती , मेरा तो मन सबको बताने का था इस के बारे में पर उन्होंने मुझे समझाया कि कुछ बाते राज ही अच्छी होती है और फिर भला एक भक्त और भगवान के बीच की बात सबको क्यों बताई जाए !!(आपको भी तो सभी बात नहीं पता है अभी 🙈 ) ये जीवन भी मैं उन्ही के लिए ही अब तक जी रही हूँ ...., अभी भी कुछ कर्म शेष है पूर्णताः इस लोक से मुक्त होने के लिए !! परन्तु फिर भी मैं खुश हूँ क्योंकि मेरे इस सफर में मैं अकेली नही हुँ मेरे श्याम मेरे साथ है |
उनसे मैं यह प्रश्न अक्सर करती हूं कि आप मुझे इस 'टियारा' के बिना कब दिखाई देने लगोगे परंतु वह हर बार मेरा प्रश्न सुन मुस्कुरा देते है और कुछ भी नहीं बोलते !! ; उनकी इस मुस्कान के आगे तो मेरे सारे प्रश्न और सारे शब्द न जाने कैसे अपने आप ही गायब हो जाते है , उनकी इतनी मनमोहक मुस्कान मोह लेती है मन को... न जाने क्या जादू है इसमें ! |
पता है ! आज जब मैं यह कहानी लिख रही हूं अब भी वो मेरे सामने बैठकर मुस्कुरा रहे हैं ... अरे देखो तो !! फिर से मेरे सारे शब्द गायब हो गए उनकी मुस्कान देखकर ! ||
~ राधिका कृष्णसखी
मेरे अवचेतन मन द्वारा रचित इस कहानी को अपना कीमती समय देने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏❤️💙🙏
🙏आप चाहे तो अपनी कीमती टिप्पणी देकर अपना प्रेम और विचार प्रकट कर सकते है 🙏
🙏🌼राधेश्याम की कृपा आप सभी पर सदा बनी रहे 🌼🙏
🌹💙🌹शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं सभी को!!🌹💙🌹
🙏जय राधेश्याम 🙏
🙏 जय रुक्मिणीश्याम 🙏
🙏 जय अष्ट सखियों की 🙏
🙏 जय राधा हरिवंश 🙏
🙏जय वृन्दावनश्वरी की 🙏
🙏जय बरसाने वाली की 🙏
🙏जय बाँकेबिहारी की 🙏
🙏🌼 हर हर महादेव 🌼🙏
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🙏🌼 हर हर महादेव 🌼🙏
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Radhe Radhe 🙏🙏
May krishna bless you 💝
Hare Ram Hare Ram Hare Krishna Hare Krishna 🙏🙏